4. उस गुरू का नाम लिखिए जिसके कार्य और योगदान नीचे दिए गए हैं।
l. उन्होंने खालसा पंथ की नींव डाली
II. उन्होंने अपने सिक्खों को पाँच भिन्न प्रतीक समर्पित किए
III. उहोंने समुदाय को सामाजिक, धार्मिक और सैन्य बल के रूप में संगठित किया
IV. उहोंने नौवें गुरू, गुरू तेगबहादुरकीरचनाओं को गुरू ग्रंथ साहिब में संकलित किया
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सही उत्तर है...
► गुरू गोविंद सिंह
व्याख्या:
‘गुरु गोविंद सिंह’ सिखों के दसवें एवं अंतिम सजीव गुरु थे। गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 ईस्वी को पटना में हुआ था, जो भारत के बिहार राज्य में है, और पटना साहिब के नाम से जाना जाता है। उनकी देहावसान 7 अक्टूबर 1708 ईस्वी को 42 वर्ष की आयु में नांदेड़, महाराष्ट्र में हुआ।
गुरु गोविंद सिंह में ही संत 1699 ईस्वी में बैसाखी के दिन ‘खालसा पंथ’ की नींव डाली थी। ये खालसा पंथ ही ‘सिख धर्म’ कहालाया। उन्होंने सिखों को 5 ‘क’कारों का महत्व बताया और खालसा पंथ में ये 5 ‘क’कार अनिवार्य कर दिये। ये 5 ‘क’कार थे...केश, कंघा, कड़ा, कृपा, कच्छा।
उन्होंने समुदायों को सामाजिक धार्मिक और सैन्य बल के रूप में भी संगठित किया। उन्होंने नौवें गुरु अपने पिता गुरु तेग बहादुर की रचनाओं को गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित किया। वह सिखों के अंतिम जीवित गुरु थे, क्योंकि उसके बाद उन्होंने सिखों के सर्वोच्च पवित्र धार्मिक धार्मिक ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को ही गुरु घोषित कर दिया और कहा कि उनके बाद से कोई भी सजीव गुरु नहीं होगा बल्कि गुरु ग्रंथ साहिब ही सिख धर्म के गुरु के प्रतीक के रूप में माना जाएगा।
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