4. योग साधना किसका मार्ग है?
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योग साधना सभी साधनाओं में श्रेष्ठ मानी गई है। यह शुद्ध, सात्विक और प्रायोगिक है। इसके परिणाम भी तुरंत और स्थायी महत्व के होते हैं।
योग कहता है कि चित्त वृत्तियों का निरोध होने से ही सिद्धि या समाधि प्राप्त की जा सकती है- 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः'।
मन, मस्तिष्क और चित्त के प्रति जाग्रत रहकर योग साधना से भाव, इच्छा, कर्म और विचार का अतिक्रमण किया जाता है। इसके लिए यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार ये 5 योग को प्राथमिक रूप से किया जाता है। उक्त 5 में अभ्यस्त होने के बाद धारणा और ध्यान स्वत: ही घटित होने लगते हैं।
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प्राणायाम एक प्रक्रिया है जो श्वास नियंत्रण के साथ ईश्वरीय भाव जगाता है। अष्टांग योग साधना में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि का सैद्धांतिक ज्ञान से व्यावहारिक ज्ञान ज्यादा महत्व रखता है। मन को बाहरी जगत से हटाना और परमात्मा की ओर ले जाना ही प्रत्याहार साधना है
योग आध्यात्मिक जीवन के पांच तत्वों पर आधारित हैं। इसकी सात प्रमुख साधनाएं हैं : सत् कर्म, आसन, मुद्रा, प्रत्याहार, प्राणायाम, ध्यान और समाधि।