42. घनानंद द्वारा रचित ग्रंथ है
(A)
सुजानसागर
(
B)
विरहलीला
(C)
रसकेलि बल्ली
(
D)
इनमें से सभी
[ 101] A 1901-A
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Answers
HELLO DEAR,
सही जवाब है ,
(D) इनमें से सभी
उपयुक्त दिए गए रचनाएं, ' (A) सुजानसागर'. (B) बिरहलीला (C) रसकेलिवल्ली यह सभी ग्रंथ धनानंद द्वारा रचित है।
घनानंद द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 42 बताई जाती है,
उनके कुछ रचित ग्रंथों का नाम-
१) सुजानहित
२) कृपाकंदनिबंध
३) वियोगबेलि
४) इस्कलता
५) यमुनायश
६)प्रीतिपावस
७)प्रेमपत्रिका
८)प्रेमसरोवर
९)ब्रजविलास
१०)रसवसंत
११)अनुभवचंद्रिका
१२)रंगबधाई
१३)प्रेमपद्धति
१४)वृषभानपुर
१५)गोकुलगीत
१६)नाममाधुरी
१७)गिरीपूजन
१८)विचारसार
१९)धनघटा
इनका ' वरजवरणन' यदि ब्रज स्वरूप ही है तो इनकी सभी याद कर दिया उपलब्ध हो गई है।
इनके कभी टिकाया सबसे प्राचीन संग्रह रहा है
हिंदी के मध्यकालीन स्वच्छंद प्रभाव की प्रमुख कर्ताओं में सबसे अधिक साहित्य दूध धनानंद ही प्रतीत होते हैं। इनकी रचना के दो प्रकार है: एक में प्रेम संवेदना अभिव्यक्ति है और दूसरे में भक्ति संवेदना की व्यक्ति है। इनकी रचना विधा के बाद के रूप में कल लक्ष्णा के लक्ष्य और व्यंजनों के व्यंजन रूप में अधिक है।
I HOPE IT'S HELP YOU DEAR,
THANKS.
सही जवाब है...
(D) इनमें से सभी
स्पष्टीकरण:
‘सुजानसागर’, ‘विरहलीला’ और ‘रसकेलि वल्ली’ ये तीनों ग्रंथ ‘घनानंद’ द्वारा रचित ग्रंथ हैं।
‘घनानंद’ रीतिकाल काव्य धारा के प्रसिद्ध कवि रहे हैं। उनका काल समय 1673 से 1760 के के बीच का माना जाता है। ‘घनानंद’ रीतिकाल की तीनों प्रमुख काव्य धाराओं रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त के अग्रणी कवि माने जाते हैं। वह मुगल बादशाह मोहम्मद शाह के पीर मुंशी यानि खास कलम थे, जिसे आज की भाषा में निजी सेक्रेटरी कहा जाता है।
घनानंद को साहित्य और संगीत दोनों में महारत हासिल थी। वह प्रेम की मस्ती और संयोग एवं वियोग श्रृंगार के कवि रहे हैं। अपने जीवन काल में वह किसी ‘सुजान’ नाम की नृतकी या वेश्या के प्रति प्रेम में पड़ गये थे, इस कारण उन्होंने सुजान सागर, सुजानहित जैसे ग्रंथों की रचना भी की। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं के नाम हैं...
- सुजान सागर
- सुजानहित
- कृपाकंद निबंध
- वियोग वेलि
- इश्कलता
- प्रीति पावस
- प्रेम पत्रिका
- प्रेम सरोवर
- राजविलास
- प्रेम पद्धति
- गोकुल गीत
- विचार सार
- नाम माधुरी
- गिरि पूजन
- दानघटा
- कृष्ण कौमुदी
- भावना प्रकाश
- यमुना यज्ञ
- अनुभव चंद्रिका
- रंग बधाई
- रसकेली वल्ली
- विरहलीला
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