4चाँद से थोड़ी - सी गणे
VIClass-C
सिर्फ मुँ
गोरा
गोल
शब्दार्थ
शमशेर बहादुर सिंह
प्रश्न:
कवि परिचय
མ ཨ ༅ ཐ ༧
दोआब
उत्तर
क)
कविता संग्रह
निबंध संग्रह
कहानी संग्रह
पुरस्कार व सम्मान
प्लाट का मोर्चा
कविता का सारांश
T
न हो जाएँ । पता नहीं क्यों आपकी यह बीमारी ठीक ही नहीं होती।
पठित काव्यांश
गोल हैं खूब मगर
आप तिरछे नज़र आते हैं ज़रा ।
आप पहने हुए
हैं
1.
EN
कुल आकाश
तारों- जड़ाः
50
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शमशेर ने कविता के अलावा डायरी लिखी और हिंदी - उर्दू शब्दकोश का संपादन का
शमशेर बहादुर सिंह का जन्म सन् 1911 को देहरादून में हुआ। वे आजीवन प्रगतिवारी
कविता में दस ग्यारह साल की एक लड़की चाँद से गप्पे लड़ा रही है । वह चाँद से माना।
से आपका गोरा चिट्टा चेहरा ही नज़र आ रहा है । आप हमें मूर्ख मत समझिए । हम यार
तिरछे क्यों नज़र आते हैं। आपको कोई बीमारी है, तभी तो आप घटते हैं, तो घरने
फिर पूरी तरह गायब हो जाते हैं। बढ़ना शुरू करते हैं, तो बढ़ते ही चले जाते हैं, जब को
रहे। 'तार - सप्तक' से शुरुआत कर 'चुका भी नहीं हूँ मैं' के लिए साहित्य अकादमी :
कुछ कविताएँ, चुका भी हूँ नहीं मैं, इतने पास अपने, कान
साहित्य अकादमी पुरस्कार, मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार, शेती
गोल है पर जरा तिरछे दिखाई देते हैं । तारे जड़े आकाश को आप पहने हुए हैं।
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