4मयुक्त राष्ट्र महासभा
5.पाश्चात्य संत नए पैटर्न के संदर्भ में कहा था
कि बिना विश्वदर्शन ज्ञान ही अधूरा है"
1.संत अगस्टिन
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पाश्चात्य संत अगस्टिन ने कहा था कि ‘बिना विश्व दर्शन ज्ञान अधूरा है।’
स्पष्टीकरण:
पर्यटन का महत्व बताते हुए समय-समय पर अनेक विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं, और सब ने पर्यटन यानि भ्रमण को महत्व दिया है। प्राचीन भारतीय संस्कृति में भी ऋषि-मुनियों ने भ्रमण को बहुत महत्व दिया था। साधु-संत निरंतर भ्रमण करते ही रहते थे। उनके बारे में प्रचलित था कि ‘रमजा जोगी और बहता पानी’ कभी एक जगह नही टिकते।
पाश्चात्य संत अगस्टिन ने तो यह तक कह डाला कि विश्व दर्शन के बिना कोई भी ज्ञान अधूरा है।
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