(4X3-12)
प्र.37. कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी की भाषा शैली पर प्रकाश डालते हुए साहित्य में स्थान सुनिश्चित कीजिए
#38. "विज्ञान के चमत्कार' विषय पर 150 शब्दों में निबंध लिखिए।
प्र.39. भक्ति काल का वर्गीकरण समझाइए?
प्र.40. आपने किसी दर्शनीय स्थल का ?
प्र.41. अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए जिसमें अपनी शैक्षिक प्रगति और लक्ष्य का उल्लेख किया गया हो।
Answers
चूँकि सारे प्रश्नों के ऊत्तर बेहद लंबे हैं, इसलिए सभी प्रश्न को उत्तर एक साथ देना संभव नही है। एक प्रश्न का उत्तर है इस प्रकार है...
भक्ति काल का वर्गीकरण समझाइए?
➲ भक्ति काल हिंदी साहित्य का वह काल है, जिसमें ईश्वर की भक्ति से भरी रचनाएं की बहुतायत थी। भक्ति काल का कालक्रम 1350 ईस्वी से 1650 ईसवी के बीच माना जाता है।
भक्ति काल को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है...
O सगुण काव्य
O निर्गुण काव्य
सगुण काव्य की दो शाखायें हैं...
- रामाश्रयी शाखा
- कृष्णायी शाखा
निर्गुण काव्य की दो शाखायें हैं...
- ज्ञानाश्रयी शाखा
- प्रेमाश्रयी शाखा
सगुण भक्ति धारा के मुख्य कवि तुलसीदास, सूरदास, नंददास, कुंदन दास, केशवदास, कृष्णदास, मीरा, रसखान, रहीम आदि रहे हैं। जबकि निर्गुण भक्ति धारा के कवि कबीर, नानक, दादू दयाल, रैदास, मलूक दास आदि रहे हैं। भक्ति काल में भक्ति काल की आंदोलन की परंपरा में चैतन्य महाप्रभु, रामानुजाचार्य, संत कबीर, संत तुकाराम, संत रविदास जैसे अनेक कवि थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन को मुखरता प्रदान की।
भक्ति आंदोलन के सभी कवियों और कवि रूपी संतों ने उस समय समाज में व्याप्त बुराइयों पर कटाक्ष करने के लिए अपनी रचनाएं कीय़ भक्ति धारा के कवियों ने उस समय शैव संप्रदाय और वैष्णव संप्रदाय के बीच बढ़ते हुए राग द्वेष को खत्म किया। उन्होंने अनेक लोकहित वाली भक्ति रूपी रचनाएं जनता को भक्ति भावना से समृद्ध किया।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○