5. आशय स्पष्ट कीजिए।
क. तू जननी मन की अति भोरी, इनके कहि पतियायजिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो।
ख. तू मोहीं को मारन सीखी, दाउहि कबहुँ न खीझै।मोहन मुख रिस की ये बातें, जसुमति सुनि-सुनि रीझै।।
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