5.अलंकार किसे कहते हैं? प्रत्येक अलंकार का एक-एक उदाहरण याद करके लिखिए।
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वैसे तो अलंकार कई प्रकार की होती है लेकिन हम आपको इस पोस्ट में मुख्य रूप से जो प्रमुख अलंकार होते हैं उनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं. काव्य की शोभा को बढ़ाने के लिए जिस शब्द या तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है उसको हम अलंकार कहते हैं. अब आपको यह परिभाषा सीधे तौर पर तो समझ में नहीं आई होगी लेकिन हम आपको नीचे एक उदाहरण के साथ बता रहे हैं जैसे. अलन + कार
अलन का अर्थ होता है – भूषण
कार का अर्थ होता है – शुसर्जित करने वाला
जैसे – हम अपने आप को सुंदर रखने के लिए बहुत सी चीजों का इस्तेमाल करते हैं.. जैसे किसी गहने, साफ सुथरे कपड़े या चश्मा, बेल्ट, टोपी इत्यादि इन सभी चीजों का इस्तेमाल करके हम अपने आप को सुंदर दिखाने की कोशिश करते हैं, इसी तरह से अलंकार काव्य को साफ-सुथरा और अच्छा दिखाने की कोशिश करता है, जिसे हम अलंकार कहते हैं. और अलंकार दूसरे शब्दों और तत्वों की मदद से काव्य की सुंदरता को बढ़ाता है.
अनुप्रास अलंकार – जिस वाक्य में एक ही वर्ण की बार बार आवर्ती हो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं जैसे कि हमने आपको पर बताया था कि किसी वाक्य को सुंदर बनाने के लिए अलंकार का इस्तेमाल किया जाता है. इस अलंकार में एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति होती है. जिससे कि वाक्य सुनने में अच्छा लगता है. और वह वाक्य जब हम बोलते हैं. तो वह बोलने में भी अच्छा लगता है. जैसे उदाहरण के लिए.
चंचल की चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही है जल थल में
अब इसमें आप देख सकते हैं. कि इस उदाहरण में च वर्ण की आवर्ती बार-बार हो रही है जिससे कि यह वर्ण वाक्य की शोभा को बढ़ा रहा है तो यह अनुप्रास अलंकार हैं. आपको समझ में आ गया होगा कि अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं. अब शब्दालंकार के दूसरे भाग की बात करते हैं.शब्दालंकार का दूसरा भाग है. यमक अलंकार
(ख) यमक अलंकार – जैसा कि ऊपर हमने आपको बताया कि अनुप्रास अलंकार में एक वर्ण की आवृत्ति बार बार होती है. लेकिन यमक अलंकार में एक पूरे शब्द की आवर्ती बार-बार होती है. जैसे कि
कनक कनक ते सौ गुनी,मादकता अधिकाय,
वह खाए बौराय नर, यह पाए बौराय !
काली घटा का घमंड घटा
तो अब आप इसमें देख सकते हैं कि इस वाक्य में घटा शब्द की बार-बार आवर्ती हो रही है. तो यह यमक अलंकार है.अब आप को समझ में आ गया होगा कि यमक अलंकार किसे कहते हैं. तो अब हम आपको इसके तीसरे भाग के बारे में बताएंगे शब्दालंकार का तीसरा भाग कौन सा होता है. श्लेष अलंकार यह शब्दालंकार का तीसरा प्रकार भाग होता है.
(ग) श्लेष अलंकार – यह अलंकार अनुप्रास अलंकार और यमक अलंकार दोनों से अलग होता है. इस अलंकार में एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते हैं.यानी शब्द एक जैसा होगा लेकिन उसके अर्थ अलग-अलग होंगे तो उसे हम श्लेष अलंकार कहते हैं. उदाहरण के लिए जैसे.