(5) 'अलग न अंतर-प्राण' से कवि का अभिप्राय क्या है? from the poem book gaya hai kyun insaan by harivanshrai bachchan.
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शीर्षक कविता में कवि ने अलग न अंतर-प्राण होने की बात कही है, इसका आशय यह है कि मनुष्य का हृदय और उसके शरीर में चलने वाली साँसे अलग-अलग नहीं है। वे सभी व्यक्तियों में एक समान रूप से चलती है ।
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