5) अर्थतंत्र की दशा और दिशा का रूझान जानने के लिए सांखिकीय जानकारी उपयोगी है समझाए
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हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है. शायद किसी एक कांग्रेस के अधिवेशन में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया है. भारत में जगह जगह पर राष्ट्रभाषा प्रचार समितियों का गठन किया गया है. जिननें (केवल) हिंदी के प्रचार के लिए प्रबोध, प्रवीण एवं प्राज्ञ जैसी परीक्षाओं का आयोजन माध्यम बनाकर लोगों को, खासकर अहिंदी भाषियों को हिंदी में काबिल बनाने का यत्न किया. लेकिन यह समितियां भारत की अन्य भाषाओं की ओर अन्यमनस्क एवं सुप्त थीं। भारत के संविधान में राष्ट्रभाषा शब्द का प्रयोग हुआ ही नहीं है. वहां राजभाषा व अष्टम अनुच्छेद की भाषाएं ही नजर आती हैं.
संविधान की राजभाषा समिति में अंततः हिंदी व तामिल के बीच चुनाव हुआ, जिसमें समान मत मिलने की वजह से अध्यक्ष श्री जवाहरलाल नेहरू को अध्यक्षीयमत (कास्टिंग वोट) का प्रयोग करना पड़ा. फलस्वरूप हिंदी राजभाषा बनी. शायद इसी द्वंद के कारण तामिल भाषी हिंदी को अपना जल्दी नहीं सके . कई लोंगों ने भी इसका भरपूर फायदा उठाया और दक्षिण भारतीयों को हिंदी से तोड़कर रखने में काफी मेहनत भी की. आज यह प्रक्रिया सशक्त राजनीति का हिस्सा बन गई है.
14 सितंबर, 1949 को संविधान की भाषा समिति ने हिंदी को राजभाषा पद पर पीठासीन किया. सन् 1963 में (हिंदी) राजभाषा अधिनियम जारी हुआ लेकिन ताज्जुब इस बात का होता है कि 1973 में जब मैंने हिंदी भाषी राज्य से हिंदी साहित्य विषय के साथ उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरी की, तब भी शालाओं मे राजभाषा के बारे कोई पढ़ाई या चर्चा नहीं होती थी.
सन 1983 - 84 के दौरान जब एक सरकारी दफ्तर में जाने का अवसर मिला तब वहां के प्रशिक्षण केंद्र में देखा –
“हिदी हमारी राष्ट्रभाषा ही नहीं अपितु हमारे संघ की राजभाषा भी है”.
वहां का कोई कर्मचारी मुझे इसका अर्थ नहीं समझा पाया. बाद - बाद में किताबों से जानकारी मिली कि राजभाषा क्या है और यह राष्ट्रभाषा से किस तरह भिन्न है. क्या हम अपनी राजभाषा को परदे में सँजो कर रखना चाहते हैं?
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hii meri jaan
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1. Kafan Without a doubt, 'Kafan' is one of his best short stories. · 4. Eidgaah We've all read this story at least once in our lifetime.