5) अशोक वाटिका में माता - सीतात पवन पुत्र हनुमान मध्य जो संवाद हुआ शुद्ध
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अशोक वाटिका लंका में एक उद्यान था जो राक्षस राजा रावण के राज्य में स्थित था, जैसा कि विष्णु पुराण और वाल्मीकि के हिंदू महाकाव्य रामायण और तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस सहित सभी बाद के संस्करणों में वर्णित है, जहां इसका उल्लेख मिलता है। सुंदर कांड.[1] वाटिका के चारों ओर बगीचे हैं, जिसका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा ने किया था
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छिंदवाड़ा. छोटी बाजार में चल रही रामलीला के दसवें दिन लंका दहन का मंचन किया गया। भगवान श्रीराम का आशीर्वाद लेकर पवन पुत्र हनुमान लंका में प्रवेश करते हैं। कुम्भकर्ण, मेघनाद, रावण सहित सभी के महलों में सीता जी की खोज करते हुए वे अशोक वाटिका पहुंचते हैं। वाटिका में एक पेड़ पर चढक़र वह सारी बातें सुनते हैं। उसी समय रावण अशोक वाटिका में अपनी पत्नी मंदोदरी के साथ पहुंचता है और सीता जी को अपनी बनाने की बात कहता है। सीता रावण की ओर देखे बिना ही उसकी बात पर इनकार करती हैं। रावण सीता जी को यह कहकर चला जाता है कि एक माह में वे उसे अपना ले वरना परिणाम बुरा होगा। हनुमान माता सीता के पास आते हैं और भगवान राम द्वारा दी हुई अंगूठी सीता मैया को दिखाते हैं। दोनों के बीच वार्तालाप होता है। हनुमान सीता माता से वाटिका में लगे फल खाने की आज्ञा लेते हैं। फल खाने के दौरान जम्बुमालि आता है और हनुमान से युद्ध करते हुए मारा जाता है। यह बात रावण को पता लगते ही वह अपने पुत्र अक्षयकुमार को भेजता है। युद्ध के दौरान वह भी पवन पुत्र के हाथ मारा जाता है। इसके पश्चात रावण मेघनाथ को भेजता है। मेघनाथ आता है और ब्रम्हशक्ति से हनुमान को बंदी बनाकर रावण के सामने प्रस्तुत करता है। रावण-हनुमान का संवाद होता है। इसके बाद रावण क्रोधित होकर सैनिकों को हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश देता है। हनुमान विभीषण के महल को छोडक़र सारी लंका में आग लगा देते हैं। इसके पश्चात वह वापस सीता माता के पास पहुंचते हैं। सीता माता अपनी चूड़ामणि उतार कर हनुमान को निशानी स्वरूप देती हंै। हनुमान वापस श्रीराम के पास किष्किंधा पहुंचते हंै। इसके पश्चात वे भगवान राम से वृत्तांत विस्तार से बताते हैं। विश्राम आरती के पश्चात दसवें दिन की रामलीला समाप्त
होती है।
इन्होंने निभाया पात्र
रामलीला में राम का पात्र वीरेंद्र शुक्ल, लक्ष्मण ऋषभ स्थापक, सीता ध्रुव सोनी, सुग्रीव वरुण तिवारी, हनुमान संतोष कुशवाह, अंगद राजा दुबे, रावण विनोद विश्वकर्मा, मेघनाथ जितेंद्र सोनी, विभीषण राजू माहोरे, मंदोदरी शोभा विनोद विश्वकर्मा, जम्बुमालि शुभम श्रीवास, विशाल गुप्ता, अक्षय विपुल विश्वकर्मा निभा रहे हैं।
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