Hindi, asked by priyasharma93507, 6 hours ago

5. भारतीय संस्कृति से रामन को गहरा लगाव था-इस कथव पर
प्रकाश डालिए।​

Answers

Answered by MrNitinSaini
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Explanation:

लेखक कहता है कि उन्हीं दिनों रामन वाद्ययंत्रों की ओर भी आकर्षित हुए। पश्चिमी देशों को भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया लगते थे और रामन ने वैज्ञानिक सिद्धांतो के आधार पर पश्चिमी देशों के इस संदेह को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया हैं। लेखक कहता है कि उन्हीं दिनों कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद निकले हुए थे। मुखर्जी महोदय ने रामन् के सामने प्रस्ताव रखा कि वे सरकारी नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद स्वीकार कर लें। रामन् के लिए यह एक कठिन निर्णय था क्योंकि लेखक कहता है कि उस ज़माने के हिसाब से वे एक अत्यंत प्रतिष्ठित सरकारी पद पर थे, जिसके साथ मोटी तनख्वाह और अनेक सुविधाएँ जुड़ी हुई थीं। उन्हें नौकरी करते हुए दस वर्ष बीत चुके थे। ऐसी हालत में सरकारी नौकरी छोड़कर कम वेतन और कम सुविधाओं वाली विश्वविद्यालय की नौकरी में आने का फैसला करना रामन के लिए बहुत हिम्मत का काम था।

Answered by ramawtar1919
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Explanation:

रामन् योग्य वैज्ञानिक थे| उनमें राष्ट्रीय स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा हुआ है| भारतीय संस्कृति से रामन् को गहरा लगाव था| उन्होंने अपनी भारतीय पहचान को अक्षुण्ण रखा| विदेशी वैज्ञानिकों के बीच बैठकर भी वे अपने भारतीय संस्कारों को नहीं भूले थे| उनके अंदर राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे| उन्होंने कभी मदिरापान नहीं किया| अतः नोबेल पुरस्कार लेने के अवसर पर भी उन्होंने मदिरा नहीं पी| वे दक्षिण भारतीय वस्त्र ही पहनते रहे| वे जीवन भर कट्टर शाकाहारी रहे| उन्होंने वाद्ययंत्रों पर शोध करते हुए यह सिद्ध किया कि भारतीय वीणा, तानपुरा तथा मृंदगम् विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में कम नहीं हैं| इस प्रकार उन्हें जहाँ भी अवसर मिला, उन्होंने भारतीयता का झंडा ऊँचा करने का प्रयत्न किया| इसलिए रामन् के जीवन से प्ररेणा लेकर चारो ओर प्रकृति के बीच छिपे वैज्ञानिक रहस्यों को खोजने की, भेदने की आवश्यकता है|

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