5. भावार्थ स्पष्ट कीजिए-
(क) रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अंतर।
(ख) पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन।
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प्रश्न में दी गयी पंक्तिया ‘सुमित्रा नंदन पंत’ द्वारा रचित कविता “मनभावन सावन” से ली गयी हैं।
इस कविता में कवि ने सावन के महीने में प्रकृति में होने वाले परिवर्तन का वर्णन किया है।
प्रश्न में दी गईं पंक्तियों का भावार्थ...
(क) रोम सिहर उठते छूते वे भीतर-अंतर
भावार्थ — कवि कहता है बादलों से रिमझिम गिरती बारिश की बूँदे मानों कुछ कह रही हों। उनके टप-टप गिरने के स्वर ने हृदय पर गहरा प्रभाव डाला है जिससे मन रोमांचित होकर झूम उठा है।
(ख) पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन
भावार्थ — कवि कहता है कि वर्षा की जलधारा को जो रस्सी के समान प्रतीत हो रही है, उस जलधारा को पकड़कर झूले के समान झूलने का मन कर रहा है।
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