5 dohas of raheem or kabir on water
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निंदक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाय
बिन पाणी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय
जैसा भोजन कीजिये वैसा ही मन होय
जैसा पानी पीजिये वैसी वाणी होय
चिडिया चोंच भर ले गई, नदी को घट्यो ना नीर
दान दिये धन ना घटे, कह गये दास कबीर
काला नाला हीन जल, सो फिर पानी होय
जो पानी मोती भया, सो फिर नीर न होय
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान
बिन पाणी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय
जैसा भोजन कीजिये वैसा ही मन होय
जैसा पानी पीजिये वैसी वाणी होय
चिडिया चोंच भर ले गई, नदी को घट्यो ना नीर
दान दिये धन ना घटे, कह गये दास कबीर
काला नाला हीन जल, सो फिर पानी होय
जो पानी मोती भया, सो फिर नीर न होय
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान
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