Hindi, asked by ps9275484, 11 months ago

(5)
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(क)
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प्रस्तुत गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
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(ग)
(घ)
(2)
पराक्रमी पुरुषों के सेवक कैसे होते हैं?
सूर्यदेव की उदारता और न्यायशीलता तारीफ के लायक है। तरफदारी तो उसे छू तक नहीं गयी-पक्षपात
अपने नये किरण-कलाप को उसी पर्वत के शिखर पर नहीं. प्रत्युत सभी पर्वतों के शिखरों पर फैलाकर उन
सब की शोभा बढ़ा दी। उसकी इस उदारता के कारण इस समय ऐसा मालूम हो रहा है, जैसे सभी भूधरों
ने अपने शिखरों-अपने मस्तकों-पर दुपहरिया के लाल-लाल फूलों के मुकुट धारण कर लिये हों। सच है,
उदारशील सज्जन अपने चारुचरितों से अपने ही उदय-देश को नहीं, अन्य देशों को भी आप्यायित करते हैं
प्रस्तुत गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग)
किस बात से पता चलता है कि सूर्यदेव निष्पक्ष कार्य करते हैं?
सत्पुरुषों का आचरण कैसा होता है?
पड़ने से उनकी शोभा का वर्णन कीजिए।
(क)
(घ)
या कर
1. निम्नलिखित गद्यांशों के नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अंधकार के विकट वैरी महाराज अंशमाली अभी तक दिखायी भी नहीं दिये। तथापि उसके सारथी अरुण :
ने, उनके अवतीर्ण होने के पहले ही थोड़े ही नहीं समस्त तिमिर का समूल नाश कर दिया। बात यह है
कि जो प्रतापी पुरुष अपने तेज से अपने शत्रुओं का पराभव करने की शक्ति रखते हैं, उनके अग्रगामी सेवक
भी कम पराक्रमी नहीं होते। स्वामी को श्रम न देकर वे खुद ही उसके विपक्षियों का उच्छेद कर डालते हैं।
इस तरह, अरुण के द्वारा अखिल अन्धकार का तिरोभाव होते ही बेचारी रात पर आफत आ गयी। इस दशा
में वह कैसे ठहर सकती थी। निरुपाय होकर वह भाग चली।
सूर्यदेव के सारथी ने सूर्यदेव के उदय होने से पूर्व क्या किया?
अन्धकार के तिरोभाव का रात पर क्या प्रभाव पड़ा?
की तो गंध तक उसमें नहीं, देखिए न, उदय तो उसका उदयाचल पर हुआ: पर क्षण ही भर में उसने​

Answers

Answered by bhanupartap488
3

Answer:

सूर्यदेव की उदारता और न्यायशीलता तारीफ के लायक है। तरफदारी तो उसे छू तक नहीं गयी-पक्षपात

अपने नये किरण-कलाप को उसी पर्वत के शिखर पर नहीं. प्रत्युत सभी पर्वतों के शिखरों पर फैलाकर उन

सब की शोभा बढ़ा दी। उसकी इस उदारता के कारण इस समय ऐसा मालूम हो रहा है, जैसे सभी भूधरों

ने अपने शिखरों-अपने मस्तकों-पर दुपहरिया के लाल-लाल फूलों के मुकुट धारण कर लिये हों। सच है,

उदारशील सज्जन अपने चारुचरितों से अपने ही उदय-देश को नहीं, अन्य देशों को भी आप्यायित करते हैं

Answered by avantdangi080
1

Explanation:

उदासी सज्जन अपने विचारों से रितु से अपने युद्ध देश को नहीं अन्य देशों को भी आप या याद करते हैं

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