5
ए:2
ए:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूर्छ गए प्रश्ना क
दीजिए:
जगत में सुख-दुःख का संघर्ष हरेक देश और समाज में
चलता आया है। इस सुख-दुःख के संघर्ष से कोई मुक्त नहीं है।
अनेक व्यक्तियों के बारे में ऊपर से सुखी होने का आभास मात्र
होता है। जो धन, प्रतिष्ठा और बुद्धि धारण करते हैं, वे दु:खी
नहीं होते, ऐसा हम मान लेते हैं। सुख के बाह्य आभास के बीच
उनके मन में जो दु:ख होता है वे उसे बता नहीं सकते। ऐसे लोग
धन, प्रतिष्ठा के बल पर दु:ख पर आवरण डालकर अपने मन के
दुःखों को छिपा लेते हैं। ऐसे लोगों के प्रति सम्मान, शुभेच्छा और
सहानुभूति रखनेवालों की कमी नहीं है।
2
प्रश्न:
50. सुख-दु:ख को लेखक ने सार्वत्रिक क्यों बताया है?
51. दु:ख के ऊपर आवरण कौन डालता है? कैसे?
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Explanation:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूर्छ गए प्रश्ना क
दीजिए:
जगत में सुख-दुःख का संघर्ष हरेक देश और समाज में
चलता आया है। इस सुख-दुःख के संघर्ष से कोई मुक्त नहीं है।
अनेक व्यक्तियों के बारे में ऊपर से सुखी होने का आभास मात्र
होता है। जो धन, प्रतिष्ठा और बुद्धि धारण करते हैं, वे दु:खी
नहीं होते, ऐसा हम मान लेते हैं। सुख के बाह्य आभास के बीच
उनके मन में जो दु:ख होता है वे उसे बता नहीं सकते। ऐसे लोग
धन, प्रतिष्ठा के बल पर दु:ख पर आवरण डालकर अपने मन के
दुःखों को छिपा लेते हैं। ऐसे लोगों के प्रति सम्मान, शुभेच्छा और
सहानुभूति रखनेवालों की कमी नहीं है।
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50. सुख-दु:ख को लेखक ने सार्वत्रिक क्यों बताया है?
51. दु:ख के ऊपर आवरण कौन डालता है? कैसे?
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Answer:
sukh dukh ko lekhak ne Sarvtrik kyun bataya hai
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