5 gadyansh with answers in hindi
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1.
3 दिसंबर 1984 को भोपाल में एक फैक्ट्री से मिथाइल आइसो साइनेट नामक एक बेहद जहरीली एवं जानलेवा गैस रिसकर हवा में मिल गई। इस गैस का रिसाव इतनी जल्दी हुआ कि फैक्ट्री के आस-पास रहने वाले लोग भाग भी न सके। वैसे भी यह रात के समय हुआ था। इस जहरीली गैस की मात्रा इतनी अधिक थी कि लोगों को उसी समय साँस लेने में परेशानी होने लगी।लोगों ने वहाँ से भागना चाहा पर वे भाग न सके और असमय मौत का शिकार बन गए। लाखों लोग श्वसन तंत्र की बीमारियों का शिकार बन गए और बाद में भी की लोग मर गए। यहाँ तक कि उस समय के बाद कुछ सालों तक अपंग बच्चे पैदा हुए या उन्हें श्वास संबंधी कोई रोग था। पेड़ -पौधों के पत्ते काले होते गए और वे नष्ट हो गए। आज इतने सालों बाद भी लोग इन बिमारियों का परिणाम भुगत रहे हैं।
(क) लोग किस बीमारी का शिकार हो गए?
श्रवण संबंधी
नेत्र संबंधी
श्वसन संबंधी
मुख संबंधी
(ख) 1984 भोपाल की फैक्ट्री में कौन-सी दुर्घटना घटी?
(ग) लोग चाहकर भी क्यों न भाग सके?
(घ) ‘विज्ञान मनुष्य के लिए एक वरदान है या अभिशाप’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
(ड़) प्रथम पंक्ति में ‘गैस’ के लिए प्रयुक्त एक विशेषन लिखिए।
2.
धरती के आँचल में सजी
सँवरी हैं स्वर्ण रश्मियाँ,
खेतों में आज बिखरा है सोना
जिसे देख कर महका
कृषक मन का कोना-कोना।
किया धरती का सोलह-सिंगार
चमचमाते नयन बार-बार,
धानी चुनर में मोती सजे हैं
ढोल, ताशे और बाजे बजे हैं
दिल की वीणा के झंकृत हैं तार
झूमें-गाएँ सबके मन बार-बार।
हुए आँखों में सब सपने साकार
फिर से जागी हैं उम्मीदें हजार।
1.खेतों में क्या बिखरा हुआ है?
2.किसान के नयन क्यों चमचमाते हैं?
3.सबके मन क्यों झूम और गा रहे हैं?
4.इस बार बेमौसम की बरसात ने फसलों का बहुत नुकसान किया है, आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या हम इसके लिए कुछ कर सकते हैं?
3.
देश हमें देता सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें,
सूरज हमें रोशनी देता, हवा नया जीवन देती है,
भूख मिटाने को हम सब को, धरती पर होती खेती है,
औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें,
पथिकों को जलती गरमी में, पेड़ सदा देते हैं छाया,
खुशबू भरे फूल देते हैं हमको, नव फूलों की माला,
त्यागी तरुवारों के जीवन से, हम भी तो कुछ जीना सीखें।
(क) प्रकृति से हमें क्या नहीं मिलता है?
सीख
प्रेरणा
परोपकार
लालच
प्रश्न (ख) हम किससे क्या देना सीख सकते हैं?
प्रश्न (ग) पद्यांश में से दो संज्ञा शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
प्रश्न (घ) ‘पथिक’ का पर्यायवाची लिखिए।
प्रश्न (ड़) प्रकृति का हर रूप कोई न कोई शिक्षा देता है। आप उसके किस रूप से कौन सी शिक्षा लेंगे तथा क्यों?
4.
डॉ. कलाम दृढ़ इच्छाशक्ति वाले वैज्ञानिक थे। वे भारत को विकसित देश बनाने का सपना संजोए हुए थे। उनका मानना था कि भारतवासियों को व्यापक दृष्टि से सोचना चाहिए। हमें सपने देखने चाहिए। सपनों को विचारों में बदलना चाहिए। विचारों को कार्यवाही के माध्यम से हकीकत में बदलना चाहिए। डॉ. कलाम तीसरे ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया। उन्हें ‘पद्मभूषम’ तथा ‘पद्मविभूष्ण’ से भी सम्मानित किया गया। भारत को उन पर गर्व है। इतनी उपलब्धियाँ प्राप्त करने के बावजूद अहंकार कलाम जी को छू तक नहीं पाया। वे सहज स्वभाव के एक भावुक व्यक्ति थे। उन्हें कविताएँ लिखना, वीणा बजाना तथा बच्चों के साथ रहना पसंद था। वे सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे। कलाम साहब का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। कलाम जी तपस्या और कर्म ठता की प्रतिमूर्ति हैं। राष्ट्रपति पड़ की शपथ लेते समय दिए गए भाषण में उन्होंने कबीरदास जी के इस दोहे का उल्लेख किया था – ‘काल करे सो आज कर, आज करे सो अब’।
(क) डॉ. कलाम ने भारत को क्या बनाने का सपना देखा है?
अल्प विकसित देश
विकसित देश
निर्मित देश
विकासशील देश
(ख) डॉ. कलाम किस प्रवृत्ति के व्यक्ति थे?
असहज
दयालु
भावुक
क्रूर
(ग) डॉ. कलाम एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले _______ थे?
वैज्ञानिक
कलाकार
साहित्यकार
इनमें से कोई नहीं
(घ) डॉ. कलाम को क्या – क्या बेहद पसंद था?
(ड़) डॉ. कलाम को किन-किन सम्मानों से सम्मानित किया गया?
(च) डॉ. कलाम की तरह आप भारत को आगे बढ़ाने के लिए क्या प्रयास करेंगे।
5.
गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों की पढाई पूरी होने पर एक दिन गुरूजी ने सभी छात्रों को मैदान में इकट्ठा होने के लिए कहा। सभी शिष्य मैदान में आकर खड़े हो गए। गुरूजी ने उनसे कहा, प्रिय शिष्यों मैं चाहता हूँ कि यहाँ से जाने से पहले आप सब एक बाधा दौड़ में भाग लें। इस दौड़ में आपको एक अँधेरी सुरंग से गुजरना होगा। सभी शिष्य सुरंग से गुजरे जहाँ जगह-जगह नुकीले पत्थर पड़े थे। दौड़ पूरी होने पर गुरूजी ने कहा, कुछ शिष्यों ने दौड़ जल्दी पूरी क्र ली और कुछ ने बहुत अधिक समय लगा दिया, भला ऐसा क्यों? कुछ शिष्यों ने जवाब दिया कि रस्ते में नुकीले पत्थर थे जिन्हें हम चुनकर जेब में रखते जा रहे थे ताकि पीछे आने वालों को पीड़ा न हो। गुरूजी ने उन सभी शिष्यों को बुलाया जिन्होंने चुने थे और जिन्हें तुम पत्थर समझ रहे, वे वास्तव में बहुमूल्य हीरे हैं जिन्हें मैंने सुरंग में डाला था। ये हीरे तुम सबका उपहार है क्योंकि तुमने दूसरों की पीड़ा को समझा। यह दौड़ जिंदगी की सच्चाई को बताती है कि सच्चा विजेता वही है जो इस दौड़ती दुनिया में दूसरों का भला करते हुए आगे बढ़ता है।
(क) गुरूजी ने शिष्यों को कहाँ और क्यों बुलाया था?
(ख) शिष्यों को सुरंग में किस कठिनाई का सामना करना पड़ा?
(ग) गुरूजी ने शिष्यों को क्या दिया और क्यों?
(घ) यह दौड़ जिंदगी की कौन-सी सच्चाई बताती है?
(ड़) उपर्युक्त कहानी का उचित शीर्षक लिखिए।.
HOPE IT WILL HELP
BY:AVIKA
kisan ke nayan kyu chamchamate he