5.
गए प्रश्ना के उत्तर दीजिये:-
लोकमान्य तिलक का कथन है,"मैं नरक में सभी पुस्तकों का स्वागत करूंगा, क्योंकि इनमें रह सकती है कि
जहां वे होंगी, वहां अपने आप स्वर्ग बन जाएगा । तिलक ने हमें स्वराज का सपना दिया और गांधी ने उस
अपने को दलितों और स्त्रियों से जोड़कर एक ठोस सामाजिक अवधारणा के रूप में देश के सामने ला रखा।
स्वतंत्रता के उपरांत बड़े-बड़े कारखाने खोले गए, वैज्ञानिक विकास भी हुआ, बड़ी-बड़ी योजनाएं भी बनीं,
किंतु गांधीवादी मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता सीमित होती चली गई। दुर्भाग्य से गांधी के बाद गांधीवाद
को कोई ऐसा व्याख्याकार न मिला जो राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संदर्भो में गांधी की सोच की
समसामायिक व्याख्या करता । सो यह विचार लोगों में हर करता चला गया कि गांधीवादी विकास का मॉडल
देने वाला और तकनीकी प्रगति से विमुख है । उस पर ध्यान देने से हम आधुनिक वैज्ञानिक युग की दौड़ में
पिछड़ जाएंगे । कहना ना होगा कि कुछ लोगों की प्रथम पाखंडी जीवनशैली ने भी इस धारणा को और पुस्ट
किया । इसका परिणाम यह हुआ कि देश में बुनियादी तकनीकी और औद्योगिक प्रगति तो आई पर देश के
सामाजिक और वैचारिक- ढांचे में जरूरी बदलाव में लाए गए । सो तकनीकी विकास ने समाज में व्याप्त
फटेहाली, धार्मिक कूपमंडूकतावे जाति को नहीं मिटाया
क.तिलक के स्वराज के सपने को गांधी जी ने देश के सामने किस प्रकार रखा ?
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your question is too big
Sorry !!
Explanation:
??
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