Hindi, asked by rudratiwari4e, 3 months ago

5 Hindi story with ling and vachan words

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Answered by prachibag25
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1. शेर और लोमड़ी

प्रारम्भ में लोमड़ी ने शेर के बारे में सिर्फ सुना था लेकिन उसे कभी देखा नहीं था। घोडा ने उसे बताया, “शेर बहुत बड़ा और शक्तिशाली होता है।” जेबरा ने कहा, “वह हम पर हमला करके हमें मार कर खा जाता है।”

जिराफ ने कहा, “उसकी गर्दन तो ऐसी है कि हम सूखे पत्ते की तरह काँपने लग जाते हैं।” ये सब बातें सुनकर लोमड़ी बहुत डर गई। एक दिन लोमड़ी ने मुड़कर देखा तो सामने से शेर आ रहा था।

वह डर गई और खड़ी हो गई। शेर ने उसे सूंघा और हल्का सा गरजा, फिर वह चुपचाप चला गया। लोमड़ी ने तब कहीं जाकर राहत की साँस ली। दूसरे दिन वह नदी के दूसरे किनारे पर खड़ा था।

उसे देखते ही लोमड़ी फिर डर गई लेकिन इस बार उसका डर पहले से कुछ कम था। तीसरे दिन लोमडी अपने दोस्तों के साथ खेलते-खेलते शेर से टकरा गई। उसने थोड़ा-सा साहस इकट्ठा किया और थोड़ा झिझकते हुए कहा,

“मुझे माफ कर दीजिए, श्रीमान्।” शेर मुस्कुराकर बोला, “कोई बात नहीं।” जल्द ही लोमड़ी का डर गायब हो गया और अब वह उससे बिना डरे बात करने लगी।

2. ईमानदार लकड़हारा

रामू एक ईमानदार लकड़हारा था। एक दिन पेड़ की एक शाखा काटते काटते उसकी कुल्हाड़ी अचानक नदी में गिर गई। नदी के किनारे खड़ा होकर वह फूट-फूटकर रोने लगा।

जल्दी ही एक देवी नदी में से प्रकट हुईं और उन्होंने पहले उसे सोने की कुल्हाड़ी और उसके बाद चांदी की कुल्हाड़ी देने को कहा। रामू ने दोनों कुल्हाड़ियाँ लेने से इंकार कर दिया।

अब उसे देवी ने असली कुल्हाड़ी दी और रामू ने वह कुल्हाड़ी खुशी-खुशी ले ली। उसकी ईमानदारी से खुश होकर उस देवी ने उसकी कुल्हाड़ी के साथ बाकी दोनों कुल्हाड़ियाँ भी दे दी।

उसने यह सारी घटना अपने पड़ोसियों को बताई। उनमें से एक के मन में लालच आ गया। वह भी नदी के पास गया तथा उसने अपनी कुल्हाड़ी नदी में फेंक दी और रोने का नाटक करने लगा।

तब देवी ने प्रकट होकर उसे जब सोने की कुल्हाड़ी दो तो उसने लपककर वह कुल्हाड़ी लेने की कोशिश की। देवी को गुस्सा आ गया और वह गायब हो गईं। इस प्रकार वह अपनी असली कुल्हाड़ी भा। गँवा बैठा।

3. बहेलिया और साँप

एक बार एक बहेलिया जाल लेकर जंगल में गया। उसे पेड़ के सबसे ऊपर की शाखाओं से पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ सुनाई दी।

उसने तुरंत सभी शाखाओं पर गोंद लगा दी ताकि पक्षियों के पाँव उन पर चिपक जाएँ और वह उन्हें आसानी से पकड़ सके। शिकारी का पूरा ध्यान ऊपर था।

जब वह पक्षियों के फँसने का इंतजार कर रहा था तब अनजाने में उसका पॉव एक सोए साँप पर पड़ गया। साँप ने गुस्से में आकर उसके पाँव पर डस लिया। बहेलिया दर्द से चिल्लाने लगा।

वह जान गया कि उसके पाँव का ज़ख्म उसे मृत्यु की ओर ले जा रहा है। उसने स्वयं से कहा, “कितना बदकिस्मत हूँ में कि शिकार करने आया था लेकिन अपनी लापरवाही के कारण स्वयं ही शिकार हो गया।”

4.ऊँट व मनुष्य

इस धरती और जीव जन्तुओं के रचयिता स्वयं ईश्वर हैं। जब मनुष्यों ने रेगिस्तान में पहली बार ऊँट देखा तो वे उसके बड़े आकार को देखकर डर गए और भाग गए। धीरे-धीरे उन्होंने उसे हरे-भरे स्थानों में भी देखा।

उन्होंने पाया कि वह काफी शांत जानवर है। उन्होंने धीरे-धीरे उसे घास डालना शुरू किया और साफ पानी पीने को दिया। अब वह मनुष्यों की मदद करने लगा। वह बोझा ढोने लगा था गाड़ियाँ खींचने लगा।

अब वह मनुष्यों के लिए पालतू पशु बन गया है। उसकी पीठ पर बच्चे तथा बड़े भी सवार होकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने लगे हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो मनुष्य अब उसका मालिक बन गया है।

5. बिल्ली व बुलबुल

एक छोटे से गाँव में एक बेकर (केक बनाने वाला) रहता था उसके पास एक पालतू बिल्ली थी। वह उस बिल्ली को बहुत प्यार करता था।

लेकिन जब वह म्याऊँ-म्याऊँ की आवाज करती थी तो वह उसे मारकर दरवाजे से बाहर निकाल देता था। एक बार उसने एक बुलबुल खरीदी। वह बड़ी आजादी से पूरे घर में गाना गाती हुई घूम रही थी।

तभी बिल्ली ने उससे पूछा, “तुम कहाँ से आई हो?’ बुलबुल ने उत्तर दिया, “गांव के मेले से।” बिल्ली चिल्लाकर बोली, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई शोर मचाने की? इसी घर में जन्म लेने के बावजूद मालिक ने मुझे कभी गाने नहीं दिया।

मैं अगर गाती हूँ तो वे मुझे सजा देते हैं।” बुलबुल ने व्यंग्यपूर्ण स्वर में कहा, “एक बिल्ली और एक बुलबुल में कोई मुकाबला नहीं है।

मेरी आवाज़ मधुर है और तुम्हारी आवाज दूसरों को परेशान करने वाली है। इसलिए तुम मेरे साथ मत लड़ो।” बिल्ली ने खिसियाकर अपनी पूँछ हिलाई और चली गई।

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