Hindi, asked by khanirsad37a, 5 days ago

5) जीवन के के समान उसने उसकी मृत्यु, काय के शहत

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Answered by Rich5238
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Answer:

जीवन का सबसे बड़ा सत्य है मृत्यु जिसे कोई टाल नहीं सकता है। जो मृत्युलोक में आया है उसे एक दिन अपने शरीर को छोड़कर जाना ही है। शरीर में मौजूद उर्जा जिसे आत्मा कहते हैं वह समाप्त नहीं होती बस रूपान्तरित होती रहती है। यह उर्जा जब शरीर से निकलती है तो यह कुहासे के समान होती है जिसकी छवि उसी प्रकार होती है जिस शरीर से यह निकलती है। मृत्यु के कुछ समय तक आत्मा को अजब-गजब अनुभव से गुजरना होता है जो आत्मा के भी दुखद और कष्टकारी होती है।

Explanation:

pls mark me brainiest

Answered by warsisajjad2
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Answer:

मृत्यु कोई शब्द नही बल्कि, हिन्दू धर्म के महाभारत ग्रन्थ के अनुसार, मृत्यु एक परम पवित्र मंगलकारी देवी है। सामान्य भाषा मे किसी भी जीवात्मा अर्थात प्राणी के जीवन के अन्त को मृत्यु कहते हैं। मृत्यु सामान्यतः वृद्धावस्था, लालच, मोह,रोग,, कुपोषण के परिणामस्वरूप होती है। मुख्यतया मृत्यु के 101 स्वरूप होते है, लेकिन मुख्य 8 प्रकार की होती है। जिसमे बुढ़ापा, रोग, दुर्घटना, अकस्मती आघात, शोक,चिंता, ओर लालच मृत्यु के मुख्य रूप है।

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