India Languages, asked by nasirahmadkhan5555, 6 months ago


5. क्रिया के पूर्ण कृदंती रूप को समझाइए।​

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Answered by kumaripuja79
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Explanation:

क्रिया वाक्य को पूर्ण बनाती है। इसे ही वाक्य का ‘विधेय’ कहा जाता है। वाक्य में किसी काम के करने या होने का भाव क्रिया ही बताती है। अतएव, ‘जिससे काम का होना या करना समझा जाय, उसे ही ‘क्रिया’ कहते हैं।’ जैसे-

लड़का मन से पढ़ता है और परीक्षा पास करता है।

उक्त वाक्य में ‘पढ़ता है’ और ‘पास करता है’ क्रियापद हैं।

1. क्रिया का सामान्य रूप ‘ना’ अन्तवाला होता है। यानी क्रिया के सामान्य रूप में ‘ना’ लगा रहता है।

जैसे-

खाना : खा

पढ़ना : पढ़

सुनना : सुन

लिखना : लिख आदि।

नोट : यदि किसी काम या व्यापार का बोध न हो तो ‘ना’ अन्तवाले शब्द क्रिया नहीं कहला सकते।

जैसे-

सोना महँगा है। (एक धातु है)

वह व्यक्ति एक आँख से काना है। (विशेषण)

उसका दाना बड़ा ही पुष्ट है। (संज्ञा)

2. क्रिया का साधारण रूप क्रियार्थक संज्ञा का काम भी करता है।

जैसे-

सुबह का टहलना बड़ा ही अच्छा होता है।

इस वाक्य में ‘टहलना’ क्रिया नहीं है।

निम्नलिखित क्रियाओं के सामान्य रूपों का प्रयोग क्रियार्थक संज्ञा के रूप में करें :

नहाना

कहना

गलना

रगड़ना

सोचना

हँसना

देखना

बचना

धकेलना

रोना

निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियार्थक संज्ञाओं को रेखांकित करें :

1. माता से बच्चों का रोना देखा नहीं जाता।

2. अपने माता-पिता का कहना मानो।

3. कौन देखता है मेरा तिल-तिल करके जीना।

4. हँसना जीवन के लिए बहुत जरूरी है।

5. यहाँ का रहना मुझे पसंद नहीं।।

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