5.केदी और कोकिला कविता में कवि सवरम के
कोस्त से संवाद के माधय से क्या २५० मा
याहते है। अपने शब्दो लिखि?Kadi aur Kokila Kavita ke kavi Swayam ke Koyal Se samvad Ke Madhyam se kya shreshth karna chahte hain aapke Apne vichar likhiye in hindi
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हे काली कोयल तुम क्या कर रही हो तुम कुछ समय को कर चुप हो जाती हो तुम अपनी बात पूरी क्यों नहीं कह पाती थोड़ा सा गाकर भी मौन हो जाती हो कोयल बोलो तुम अपने साथ किस का संदेश लाई हो नो ऊंची और काली दीवारों से घिरा जेल में बंद हो जाना कुछ और और बदमाश का डेरा है इन अपराधियों के बीच केद हूंजेल के अधिकारी मुझे जिंदा रहने के लिए मुझे भरपेट खाना भी नहीं देते और ना ही मुझे मरने देते हैं मैं हमेशा तड़पता रहता हूं मेरे जीवन पर अब दिन-रात सख्त पहरा लगा हुआ है पता नहीं है अंग्रेज शासन की व्यवस्था या अंधकार का प्रभाव है चंद्रमा भी मुझे निराश करके चला गया है इस काली घणी अंधेरी रात में है कोयल तुम क्यों जाग रही हो और मुझे भी जाने के लिए मजबूर कर रही हो भाभी आएगी अंग्रेजी शासन के अत्याचार और भूख के कारण कभी को नींद नहीं आ रही है।
हे कोयल तुम आधी रात के समय क्यों घूम रही हो क्या तुम किसी पीड़ा के भोज के तले दबी हो मैं कोयल तुम्हें किसने लूट लिया है तुम क्यों जाग रही हो तुम तो वैभव की रखवाली करती हो तुम मुझे बताओ क्या हुआ है क्या तुम पागल हो गई हो जो आधी रात को सीख रही हो कोयल बोलो तो सही कभी का भाव यह है कि उस समय देश में गुलामी की लपटे सब को जला रही थी कवि कोयल को पूछना चाहता है कि उसे जंगल में कौन सी लगते दिखाई थी जिसकी वजह से मैं जोर जोर से चीख रही है
हे कोयल तो ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए गहनों को नहीं देख रही यह हथकड़ियां नहीं है बल्कि ब्रिटिश सरकार द्वारा पहनाए गए गहने हैं जब हम जेल में कोल्हू चलाते हैं और तेल निकालते हैं तो उसे चलाने से चाकसू की ध्वनि उत्पन्न होती है यही आवाज तो हमारे जीवन की तान है जिससे हमें जीने का उत्साह मिलता है यहां जेल में हमें ईंट पत्रों को हथौड़ी से तोड़ना पड़ता है हमारे हाथों की उंगलियों पर जो चोट लगी है वह चोट ना होकर लिखे गए गीत है मैं यहां जेल में बैलों की तरह फीता बांधकर अपना पसीना बहाता हूं अंग्रेज सरकार की अकड़ का दुआ खाली करता हूं मैं अनेक प्रकार के कामों में व्यस्त रहता हूं इसलिए दिन के समय सुख देने वाला और आंखों में आंसू लाने वाला करुणा का भाव नहीं इसलिए मैं रात के समय में होकर व्याकुल होता हूं कोयल तुम चुप क्यों हो रही हो तुम्हारे मन में क्या दुख है कोकिल बोलो तो।
यह कोयल काले रंग की है और यह रात भी अंधेरी काली हैविदेशी सरकार के सारे काम भी काले हैं मेरे मन में उत्पन्न होने वाले सारी कविताएं भी कालिया संपूर्ण वातावरण काला व निराशा में है मेरे कालकोठरी भी काली है और सिर की टोपी भी काली है और तन पर उड़ने वाला कंबल भी काला है और लोहे की बेड़ियां भीकारी है उसमें बंदा हूं जेल के पहरेदार नागिन के समान हुंकार भरते रहते हैं सुखी यह सब होते हुए भी पहरेदार हमें गालियां देते हैं और हमारे साथ बुरा व्यवहार करते हैं लेकिन फिर भी देश की गुलामी रूबी काले संकट के सागर पर प्राण निछावर करने की इच्छा हमारे अंदर जागृत होती रहती है लेकिन मैं तुमसे पूछता हूं अंधेरी रात में अपनों को क्यों फैल आती रहती हो कोयल तुम क्यों पूछ रही हो।
यह कोयल तुम्हें रहने के लिए हरी भरी शाखाएं मिली है परंतु में जेल की कोठरी में बंद हो तुम आकाश में उड़ती रहती हो लेकिन मेरा संसार तो इस जेल की कोठरी में 10 फुट तक सीमित है तुम मधुर गीत गाकर लोगों को लोगों की प्रशंसा लूटते हो लेकिन मेरा सोना भी किसी गुना से कम नहीं तुम्हारे और मेरे जीवन में बड़ी विषमता है लेकिन फिर भी मैं उत्साही नहीं हूं और देश की स्वतंत्रता के लिए रणभेरी बजा रहा हूं कोयल तुम मुझे बताओ कि अपने मन में उठने वाले हूं कार को मैं क्या रचना प्रदान करो गांधी जी ने देश के लिए व्रत धारण किया उसमें मैं अपने प्राणों का संचार कैसे कर सकता हूं कोयल तुम बताओ कि देश की स्वतंत्रता के लिए मैं क्या कर सकता हूं।