5. काद्यांशकी अभिलाषा
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ
चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊँ, मारवन लात बर्वेदी
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक।।
पल प्रश्न
| इस कविता में किसकी चाह या इच्छा का वर्णन हुआ है?
2. सुरबालाओं के संदर्भ में फूल की क्या इच्छा है?
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ पंक्ति में कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना कर रहे हैं?
। वनमाली से कवि ने क्या अनुरोध किया है?
पुष्प की वास्तविक इच्छा क्या है?
इस कविता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं?
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1. इस कविता में फूल की चाह या इच्छा का वर्णन हुआ हैं।
2. सुरबालाओं के संदर्भ में फूल की यह इच्छा हैं कि वह सुंदर स्त्रियों का गहना ना बनें।
3. इस पंक्ति में कवि ईश्वर से यह प्राथना है कि फूल की इच्छा नहीं है कि मुझे राजाओं के मृत शरीर पर भगवान का नाम लेकर डाला जाये।
5. पुष्प की अभिलाषा (वास्तविक इच्छा) मातृभूमि पर बलिदान होने वाले वीरों पर चढ़ाया जाना है।
6. इस कविता के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है की वीरों का मातृभूमि पर किया गया अपने प्राणों का बलिदान सर्वोपरि है। यह बात कवि ने एक फूल के माध्यम से कहने की कोशिश की है। जिसमें एक फूल भी अपने आप को वीरों पर चढ़ाया जाना सबसे अधिक श्रेयस्कर मानता है।
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