Hindi, asked by dhansinghpeeperpani, 6 months ago

5) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
) 'प्रेम-बोलि बोयी' में कोन-सा अलंकार है नाम लिखिते हुए अलंकार को समझाड
कांड
10. (क) 'घर की याद' कविता में कवि ने पिताजी के व्यक्तित्व की किन विशेष
है लिखिए-
(ख) मीरा को भक्ति मार्ग में किन-किन बाधाओं का सामना करना पड़ा ?
अथवा
का
कबीर के धार्मिक विचारों पर प्रकाश डालिए-
11. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजि
"मियाँ नसीरूद्दीन ने आँखों के कंचे हम पर फेंक दिए। फिर तररेक
पूछिए साहब- नानबाई इल्म लेने कहीं और जाएगा ? क्या नगीनासाज
के पास ? या रफगर रंगरेज या तेली-तंबोली
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Answers

Answered by bhatiamona
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प्रेम-बोलि बोयी' में कोन-सा अलंकार है नाम लिखिते हुए अलंकार को समझाएं :

प्रेम-बोलि बोयी' में रूपक अलंकार है |

मीरा ने कृष्ण के लिए भारू कष्ट सहन करके कृष्ण की भक्ति और प्रेम की बेल को बोया है|

रूपक अलंकार: रूपक अलंकार में जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में भिन्नता दर्शायी नहीं जाती वह एक समान होते है, तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।

10. (क) 'घर की याद' कविता में कवि ने पिताजी के व्यक्तित्व की किन विशेषताए :

कवि ने अपने पिता जी विशेषताओं के बारे में बताया है कि वह चुस्त और फुर्तीले है| बुढ़ापा तो उनके आस-पास दिखाई नहीं देता है| पिता जी अभी भी दोड़ सकते है , जोर-जोर से हंस सकते है| पिता जी बहुत साहसी है , वप किसी से भी डरते नहीं है| उनकी आवाज़ में अभी भी बहुत दम है| वह तेज़ गति से काम मरने में दम रखते है|

कबीर के धार्मिक विचारों पर प्रकाश डालिए-

कबीर जी सन्त कवि और समाज सुधारक थे।  कबीर जी के दोहे आज तक ज्ञान देते है| हम आज तक कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन शैली का आधार मानते हैं | कबीर जी  ने रूढ़ियों, सामाजिक कुरितियों, तिर्थाटन, मूर्तिपूजा, नमाज, रोजादि का खुलकर विरोध किया |

समय के सदुपयोग के महत्व को समझते हुए कबीर दास जी ने कहा कि ''काल करें जो आज कर, आज करें सो अब।   जीवन बहुत छोटा होता है , हमें कोई भी काम कल पर नहीं डालना चाहिए | जो काम है आज के आज खत्म कर लेना चाहिए | कल कभी नहीं आता |

कबीर की साखी में कबीर जी यह समझाना चाहते है : हमें ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमें शीतलता का अनुभव हो और साथ ही सुनने वाले  का मन भी प्रसन्न हो उठे।

हमें कड़वे  वचन नहीं बोलने चाहिए | हमेशा सबसे प्यार से और हंस के बात करनी चाहिए| खुद को भी सुख की अनुभूति होती है।

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