5 lines in my favourite game ludo in hindi
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लूडो... गत्ते पर बना यह खेल अमूमन आज के समय हर कोई खेलता है। खासकर खाली बैठे रहने से बेहतर टाइम पास करने का लूडो सबसे अच्छा साधन है।कुछ-कुछ ऐसा ही खेल है चौपड़। प्राचीन काल से ही चौपड़ का खेल खेला जाता रहा है। महाभारत के समय कहें या फिर मुगल साम्राज्य में या फिर राजपूतों के रजवाड़ों में यह खेल आम था। उत्तराखंड में भी यह खेल प्राचीन समय से ही खेला जाता रहा है।
चौपड़ खेल के न तो बड़ी जगह चाहिए और न ही बड़ा मैदान। न इंडोर स्टेडियम की जरूरत और न व्यवस्थित स्थान की। कहीं भी आसानी से कई लोग इस खेल को खेल सकते हैं। हरबर्टपुर के ओमप्रकाश उनियाल बताते हैं कि एक ही स्थान पर कई टीमों के बीच इस खेल की प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती थीं।
चौपड़ों पर खाने बने होते थे, जिन पर गोटियों को आगे बढ़ाया जाता था। बताया कि यह खेल आज के लूडो जैसा ही था। फर्क इतना है कि लूडो गत्ते से निर्मित होता है, जबकि चौपड़ मखमली कपड़े की बनी होती थी। बीच में एक चौकोरनुमा जेब जिसमें गोटियां रखी जाती थीं।
यह गोटियां लगभग एक इंच ऊंची और गोल आकार की लकड़ी की बनी होती थीं। इनको लाल, हरे, पीले, नीले रंग से बनाया जाता था। खेलने के लिए छह कौड़ियां होती हैं। कौड़ियां हाथ की मुठ्ठी पर रखकर बारी-बारी से चौपड़ पर फेंकी जाती हैं।
सीधी तरफ गिरने वाली कौड़ी के अंक गिने जाते हैं और उसी के अनुरूप बारी-बारी से खेलने वाले की गोटियां आगे बढ़ाई जाती हैं। चौपड़ में चारों तरफ मखमली कपड़े से बनी चार पट्टियां होती हैं और इसको खेलने वाले कुल चार खिलाड़ी होते हैं। जो अलग-अलग भी खेल सकते हैं और दो-दो की टीम में भी। इसमें समय की कोई बंदिश नहीं होती।
चौपड़ खेल के न तो बड़ी जगह चाहिए और न ही बड़ा मैदान। न इंडोर स्टेडियम की जरूरत और न व्यवस्थित स्थान की। कहीं भी आसानी से कई लोग इस खेल को खेल सकते हैं। हरबर्टपुर के ओमप्रकाश उनियाल बताते हैं कि एक ही स्थान पर कई टीमों के बीच इस खेल की प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती थीं।
चौपड़ों पर खाने बने होते थे, जिन पर गोटियों को आगे बढ़ाया जाता था। बताया कि यह खेल आज के लूडो जैसा ही था। फर्क इतना है कि लूडो गत्ते से निर्मित होता है, जबकि चौपड़ मखमली कपड़े की बनी होती थी। बीच में एक चौकोरनुमा जेब जिसमें गोटियां रखी जाती थीं।
यह गोटियां लगभग एक इंच ऊंची और गोल आकार की लकड़ी की बनी होती थीं। इनको लाल, हरे, पीले, नीले रंग से बनाया जाता था। खेलने के लिए छह कौड़ियां होती हैं। कौड़ियां हाथ की मुठ्ठी पर रखकर बारी-बारी से चौपड़ पर फेंकी जाती हैं।
सीधी तरफ गिरने वाली कौड़ी के अंक गिने जाते हैं और उसी के अनुरूप बारी-बारी से खेलने वाले की गोटियां आगे बढ़ाई जाती हैं। चौपड़ में चारों तरफ मखमली कपड़े से बनी चार पट्टियां होती हैं और इसको खेलने वाले कुल चार खिलाड़ी होते हैं। जो अलग-अलग भी खेल सकते हैं और दो-दो की टीम में भी। इसमें समय की कोई बंदिश नहीं होती।
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लूडो पर पाँच पंक्तियाँ इस प्रकार है
Explanation:
- मेरा प्रिय खेल लूडो हैl
- लूडो घर में खेले जाने वाला खेल हैl
- लूडो गत्ते का बना होता जिसमे सौलह गोटियाँ और एक पास भी होता है l
- लूडो के पासे में 1 से 6 तक के अंक होते हैंl
- लूडो में चार रंग की गोटियाँ होती है हर खिलाड़ी के पास एक रंग की चार गोटियाँ होती है l
- लूडो खेल मुझे इसलिए पसंद है क्योंकि इस खेल को किसी भी उम्र का व्यक्ति खेल सकता हैl
- मैं यह खेल अपने भाई बहन के साथ खेलती हूँ l
- इस खेल में चोट लगने की कोई भी संभावना नहीं होती l
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