5 lines in Sanskrit.
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द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति: पृथिवी शान्ति राप: शान्ति रौषधय: शान्ति। अत: स्पष्ट है कि यजुर्वेद का ऋषि सर्वत्र शान्ति की प्रार्थना करते हुए मानव जीवन तथा प्राकृतिक जीवन में अनुस्यूत एकता का दर्शन बहुत पहले कर चुका था।
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