Art, asked by Sara9047, 1 year ago

5 lines on Vidyalaya varshikotsav in sanskrit

Answers

Answered by MissSlayer
14
विद्यालय जीवन में वार्षिकोत्सव का विशेष महत्त्व है, क्योंकि उदेश्य विद्यार्थियों में आत्म-संयम, विद्यालय की प्रगति में सहयोग देना और अभिभावकों से सम्पर्क स्थापित करना होता है । इन उत्सवों के आयोजन से विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा, प्रदर्शन, आत्माभिव्यक्ति और दायित्व की भावना को बहिर्मुखी होकर विकसित होने का पूरा मौका मिलता है ।

हमारे विद्यालय में प्रति वर्ष वार्षिकोत्सव का प्रारम्भ बसन्त पंचमी से एक सप्ताह पूर्व हो जाता है । इस वर्ष हमारे विद्यालय को आरम्भ हुए पचास वर्ष पूर्ण हो गये थे । इसलिए हमारे विद्यालय की कार्यकारिणी समिति ने इस वर्ष के उत्सव को ‘ स्वर्ण जयन्ती ‘ के रूप में मनाने का निश्चय किया । इस आयोजन के कार्यों का विभाजन कर दिया गया ।

विद्यार्थी व अध्यापक अपने – अपने कार्यों की तैयारी में लग गए। विद्यालय भवन की अच्छी तरह सफाई की गई । रंग-रोगन कराया गया । प्रत्येक कक्ष चित्रों व चार्टों से सजाया गया । शिक्षा निदेशक, शिक्षाधिकरिा अन्य विशिष्ट लोगों एवं अभिभावकों को निमन्त्रण-पत्र प्रेषित किए गए ।

विद्यालय प्रांगण में शमियाना लगाया गया । फर्श दरियों और कालीनों से सजाया गया । एक ओर मंच बनाया गया। उसके सामने मुख्य अतिथि के लिए बैठने का स्थान बनाया गया । दायें-बायें विशिष्ट लोगों व अभिभावकों के बैठने के लिए कुर्सियाँ डाली गई ।

दिन के ठीक 3 बजे मुख्य अतिथि आए । विद्यालय के बैण्ड, प्रबन्ध समिति और अध्यापकों आदि ने उनका स्वागत किया । माल्यार्पण से वार्षिकोत्सव का कार्यक्रम आरम्भ हुआ । विद्यालय प्रांगण दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था । प्राचार्य महोदय ने अपने अमूल्य विचारों के बीच विद्यालय की प्रगति पर प्रकाश डाला । फिर सांस्कृतिक कार्यक्रम आरम्भ हुआ ।

कवि गोष्ठी के बाद ‘ राखी की लाज ‘ नाटक खेला गया । इसमें रानी दुर्गावती भीलनी और तातार खाँ का अभिनय करने वालों का अभिनय सराहनीय रहा । दर्शकों की ओर से काफी नकद पुरस्कार आए । इसके बाद संगीत का कार्यक्रम चला ।

मुख्य अतिथि ने गतवर्ष बोर्ड की परीक्षा में प्रथम आने वाले छात्रों को स्वर्ण पदक दिया । फिर विद्यालय के सर्वश्रेठ अनुशासित विद्यार्थी को पुरस्कृत किया गया । सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले सर्वश्रेष्ठ कलाकारों को पुरस्कार दिये गये । अध्यापकों को चाँदी के सिक्के दिये गये।

विद्यालय के प्रबन्ध महोदय ने स्कूल के अतीत पर प्रकाश डाल कर मुख्य अतिथि से दो शब्द कहने के लिए निवेदन किया । उन्होंने कहा, ‘ मुझे बच्चों के बीच उपस्थित होने में अत्यन्त हर्ष का अनुभव हो रहा है । ये बच्चे उन सुकुमार पौधों के समान है जो आगे चलकर एक विशाल वृक्ष का रूप धारण कर समाज को स्वादिष्ट फल प्रदान करेंगे ।

कल ये ही बच्चे देश के कर्णधार बनेंगे । ’ मुख्य अतिथि के शब्दों के बाद प्राचार्य जी ने उनके प्रति और आमंत्रित ममुदाय के प्रति आभार प्रकट किया । फिर उन्हें एक सुसज्जित कक्ष में जलपान के लिए ले गए । छात्रों में मिष्ठान बाँटा गया ।

अंत में प्रबन्धक महोदय ने इस दिवस के लिए सभी को धन्यवाद दिया और विद्यालय के प्राचार्य एवं अध्यापकों के कार्यों की भूरि- भूरि प्रशंसा की । अगले दिन के अवकाश की घोषणा कर दी गई । इस वार्षिकोत्सव के बाद सभी विद्यार्थियों के हृदयों में नए प्रकार का उत्सव जाग्रत हुआ । प्रत्येक विद्यार्थी अध्ययन के साथ पाठ्‌येत्तर क्रियाओं में इस रुचि से भाग लेने लगा कि अगले वार्षिकोत्सव में वह भी पुरस्कार का भागी बने।

You can translate it into sanskrit.
Similar questions