5. लड़की ने माँ की आँखों में क्या देखा है?
उ.
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भक्तिन की बेटी विवाह नहीं करना चाहती थी। यही कारण है कि जब उसके ताऊओं द्वारा रिश्ता लाया गया, तो उसने साफ इनकार कर दिया। उन्हें यह इनकार पसंद नहीं आया और उन्होंने उस लड़की के खिलाफ षडयंत्र रचा। लड़के ने घर में लड़की को अकेला पाकर अंदर से दरवाज़ा बंद कर दिया। जब हल्ला हुआ, तो इस फैसले के लिए पंचायत बुलायी गई। पंचायत यह देख चुकी थी कि लड़की ने उस लड़के के मुख पर अपनी इनकार की मुहर पहले से दे दी है। इसके बाद भी उसकी नहीं सुनी गई। उसका विवाह उसकी इच्छा के विरुद्ध करने का निर्णय पंचायत ने दे डाला। यह कहाँ का न्याय है। जब पंचायत ने बेकसूर लड़की को एक निकम्मे लड़के के साथ इसलिए शादी करने के लिए विवश किया क्योंकि वह उसके कमरे में घुस बैठा था। यह एक लड़की के अधिकारों का हनन ही तो है। लड़की की इच्छा के बिना उसका विवाह करने का निर्णय देने का अधिकार पंचायत को किसी ने नहीं दिया है। एक लड़की को पूर्ण अधिकार है कि वह किससे विवाह करे और किससे विवाह करने के लिए मना कर दे। यदि हम न्याय के अधिकारी कहलाते हैं, तो हमारा यह कर्तव्य बनाता है कि हम सही न्याय करें। इसके साथ ही दूसरों के अधिकारों की रक्षा बिना किसी जाति, लिंग तथा धार्मिक भेदभाव को दूर रखकर करें।
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