5. मानव नेत्र का वर्णन कीजिए । नेत्र का कार्य क्या है?
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आँखों या नेत्रों के द्वारा हमें वस्तु का ‘दुश्टिज्ञान’ होता है। दृष्टि वह संवेदन है, जिस पर मनुष्य सर्वाधिक निर्भर करता है। दृष्टि (Vision) एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें प्रकाश किरणों के प्रति संवेदिता, स्वरूप, दूरी, रंग आदि सभी का प्रत्यक्ष ज्ञान सन्निहित है। आँखें अत्यन्त जटिल ज्ञानेन्द्रियाँ हैं, जो दायीं-बायीं दोनों ओर एक-एक नेत्रकोटरीय गुहा (Orbital cavity) में स्थित रहती हैं। ये लगभग गोलाकार होती हैं तथा इनाक व्यास लगभग एक इंच (2.5 सेमी.) होता है। इन्हें नेत्रगोलक (Eyeball) कहा जाता है। नेत्रकोटरीय गुहा शंक्वाकार (Cone-shaped) होती है। इसके सबसे गहरे भाग में (Apex) में एक गोल छिद्र (फोरामेन) होता है, जिसमें से होकर द्वितीय कपालीय तन्त्रिका (ऑप्टिक तन्त्रिका) का मार्ग बनता है। इस गुहा की छत फ्रन्टल अस्थि से, फर्श मैक्जिला से लेटरल भित्तियाँ कपोलास्थि तथा स्फीनॉइड अस्थि से बनती हैं और मीडियल भित्ति लैक्राइमल, मैक्जिला, इथमॉइड एवं स्फीनॉइड अस्थियाँ मिलकर बनाती हैं। इसी गुहा में नेत्रगोलक वसीय ऊतकों में अन्त:स्थापित एवं सुरक्षित रहता है।