5 . महाभारत के निम्न पाठ पढ़िए -
जरासंध, शकुनि का प्रवेश, चौसर का खेल व द्रौपदी की व्यथा, धृतराष्ट्र की चिंता, भीम और हनुमान, द्वेष करने वालों का जी नहीं भरता, मायावी सरोवर, यक्ष- प्रश्न answer
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हिंदी - बाल महाभारत कथा - Class 7 (Chapter 01-20)
Bal Mahabharat Katha - जरासंध /Jarasandha (Chapter 13 - Page 34 and 35)
हिंदी - बाल महाभारत कथा - Class 7 / Grade 7
Bal Mahabharat Katha - जरासंध /Jarasandha (Chapter 13 - Page 34 and 35)
Bal Mahabharat Katha - जरासंध /Jarasandha (Chapter 13 - Page 34 and 35)
जरासंध–प्रश्नPage
जरासंध
(Page 34)

(Page 35)

Image from NCERT book
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 जरासंध की मृत्यु के बाद मगध की राजगद्दी किसको मिली?
उत्तर - जरासंध की मृत्यु के बाद मगध की राजगद्दी जरासंध के पुत्र सहदेव को मिली।
प्रश्न-2 किसने किससे कहा?
“मेरे दोनों साथियों ने मौन व्रत लिया हुआ है, इस कारण अभी नहीं बोलेंगें।”
श्रीकृष्ण ने जरासंध से कहा।
प्रश्न-3 श्रीकृष्ण ने भीम और अर्जुन के बारे में जरासंध को क्या बताया?
उत्तर- श्रीकृष्ण ने भीम और अर्जुन के बारे में जरासंध को कहा कि इन दोनों ने व्रत लिया हुआ है, इस कारण ये आधी रात के बाद व्रत खोलने पर बातचीत करेंगे।
प्रश्न-4 जरासंध से युद्ध करने का निश्चय हो गया, तो श्रीकृष्ण और पांडवों ने अपनी क्या योजना बनाई?
उत्तर- उन्होंने योजना बनाई कि वो व्रती लोगों का वेष धारण करके जरासंध की राजधानी में प्रवेश करेंगें।
प्रश्न-5 राजसूय यज्ञ में पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को किसकी अग्र-पूजा करने की सलाह दी?
उत्तर – राजसूय यज्ञ में पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को श्रीकृष्ण की अग्र-पूजा करने की सलाह दी।
प्रश्न-6 जरासंध का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर - भीमसेन और जरासंध में द्वंद्व युद्ध हुआ। वे तेरह दिन और तेरह रात लगातार लड़ते रहे। चौदहवें दिन जरासंध थककर जऱा देर को रुका ही था तभी श्रीकृष्ण ने भीम को इशारे से समझाया और भीमसेन ने जरासंध को उठाकर चारों ओर घुमाया और उसे ज़मीन पर ज़ोर से पटक दिया। इस प्रकार अजेय जरासंध का अंत हो गया।
प्रश्न-7 शिशुपाल का वध किसने और क्यों?
उत्तर - शिशुपाल को वासुदेव की अग्र-पूजा करना अच्छा नहीं लगा। उसने भरी सभा में कहा कि जिस दुरात्मा ने कुचक्र रचकर वीर जरासंध को मरवा डाला, उसी की युधिष्ठिर ने अग्र - पूजा की। इस तरह शब्द - बाणों की बौछार कर चुकने के बाद शिशुपाल दूसरे कुछ राजाओं को साथ लेकर सभा से निकल गया। राजाधिराज युधिष्ठिर नाराज़ हुए राजाओं के पीछे दौड़े गए और अनुनय -विनय करके उन्हें समझने लगे। युधिष्ठिर के बहुत समझाने पर भी शिशुपाल नहीं माना। उसका हठ और घमंड बढ़ता गया। अंत में शिशुपाल और श्रीकृष्ण में युद्ध छिड़ गया, जिसमें शिशुपाल मारा गया।