Hindi, asked by welandwe, 9 months ago

5 Minutes speech on प्राकृतिक आपदाएं .​

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Answered by DreamBoy786
6

प्राकृतिक आपदा पर निबंध, कारण, प्रभाव, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन Essay on Natural Disasters in Hindi also Causes, Effects and Management

सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है। जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे संतुलन बिगड़ रहा है।

ये हमारी मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को “ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा” भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें आने लगी है।

हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनो का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जाल-माल की हानि होती है। 1999 में ओड़िसा में महाचक्रवात आया जिसमे 10 हजार से अधिक लोग मारे गये। 2001 का गुजरात भूकंप कोई नही भूल सकता है।

इसमें 20 हजार से अधिक लोग मारे गये। यह भूकम्प 26 जनवरी 2001 में आया था। इसमें अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, गांधीनगर, कच्छ, जामनगर जैसे जिले पूरी तरह नष्ट हो गये। 2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आ गयी।

अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण भारत इससे प्रभावित हुआ। इसमें 2 लाख से अधिक लोगो की जान चली गयी। 2014 में जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ आई जिसमे 500 से अधिक लोग मारे गये।

इस तरह की आपदायें कुछ समय के लिए आती है पर बड़ी मात्रा में नुकसान करती है। सभी मकानों, परिसरों, शहरो को नष्ट कर देती है और बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है। हर कोई इनके सामने बौना साबित होता है।

Answered by Anonymous
6

hiiii

good evening ☺️

सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है। जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे संतुलन बिगड़ रहा है।

ये हमारी मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को “ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा” भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें आने लगी है।

हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनो का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जाल-माल की हानि होती है। 1999 में ओड़िसा में महाचक्रवात आया जिसमे 10 हजार से अधिक लोग मारे गये। 2001 का गुजरात भूकंप कोई नही भूल सकता है।

इसमें 20 हजार से अधिक लोग मारे गये। यह भूकम्प 26 जनवरी 2001 में आया था। इसमें अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, गांधीनगर, कच्छ, जामनगर जैसे जिले पूरी तरह नष्ट हो गये। 2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आ गयी।

अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण भारत इससे प्रभावित हुआ। इसमें 2 लाख से अधिक लोगो की जान चली गयी। 2014 में जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ आई जिसमे 500 से अधिक लोग मारे गये।

इस तरह की आपदायें कुछ समय के लिए आती है पर बड़ी मात्रा में नुकसान करती है। सभी मकानों, परिसरों, शहरो को नष्ट कर देती है और बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है। हर कोई इनके सामने बौना साबित होता है।

jai Mahakal ❤️

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