5. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
दण्ड कोप का ही एक विधान है। राजदण्ड राजकोप है, और लोककोप धर्मकोप है। जहाँ राजकोप धर्मकोप
से एकदम भिन्न दिखाई पड़े, वहाँ उसे राजकोप न समझकर कुछ विशेष मनुष्यों का कोप समझना चाहिए।
ऐसा कोप राजकोप के महत्त्व और पवित्रता का अधिकारी नहीं हो सकता।
अथवा
Answers
Answered
विशेष:-
1. सृजन की पे्ररणा मनुष्य को अपने अंदर से प्राप्त होती है।
2. लेखक ने गेहूं के नन्हें पौधों के माध्यम से निरंतर कर्मरत रहने की प्रेरणा दी है।
Answer:
5. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
दण्ड कोप का ही एक विधान है। राजदण्ड राजकोप है, और लोककोप धर्मकोप है। जहाँ राजकोप धर्मकोप
से एकदम भिन्न दिखाई पड़े, वहाँ उसे राजकोप न समझकर कुछ विशेष मनुष्यों का कोप समझना चाहिए।
ऐसा कोप राजकोप के महत्त्व और पवित्रता का अधिकारी नहीं हो सकता।
अथवा
Explanation:
gyigyh5. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
दण्ड कोप का ही एक विधान है। राजदण्ड राजकोप है, और लोककोप धर्मकोप है। जहाँ राजकोप धर्मकोप
से एकदम भिन्न दिखाई पड़े, वहाँ उसे राजकोप न समझकर कुछ विशेष मनुष्यों का कोप समझना चाहिए।
ऐसा कोप राजकोप के महत्त्व और पवित्रता का अधिकारी नहीं हो सकता।
अथवा