5. निम्नलिखित काव्यं-पंक्तियों में कौन-सा अलङ्कार है?
क) मकराकृत गोपाल कैं कुंडल सोहत कान ।
धंस्यौं मनौ हिय-घर समर डयौढ़ी लक्षत निसान ।।
SANSAR
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रूपक अलंकार
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अर्थ- श्रीकृष्ण के कानों में मछली के आकार के कुंडल सोह रहे हैं। मानो कामदेव ने हृदय-रूपी गढ़ पर अधिकार कर लिया है और गढ़ के द्वार पर उनकी ध्वजा फहरा रही है।
प्रस्तुत पंक्ति में उपमेय और उपमान में अभिन्नता प्रकट की गयी है इसलिए यहां रूपक अलंकार है ।
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