Hindi, asked by hansika234, 7 months ago

5. निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
आकाश का साफा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड
घुटनों पर पड़ी है नदी चादर सी
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी​

Answers

Answered by swarnim405
9

Answer:

यह शाम – एक किसान कविता से ली गई पंक्तियाँ है| यह कविता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना द्वारा लिखी गई है|

व्याख्या : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने विभिन्न रूपकों का पके द्वारा प्रकृति के द्वारा उत्पादों का वर्णन किया है| कवि को पहाड़ किसी किसान की तरह लगता है , जो की आकाश का साफा बांधकर बैठा है| वह सूरज की गर्मी को पी रहा है | पर्वत रूपी चादर किसान घुटनों के पास नदी चादर सी बह रही है | पास के प्लस के जंगलों को अंगीठी जल रही है| अन्धकार पूर्व दिशा में छा रहा है , वह सब इक्कठा हो रहे है , मानो भेड़ो का समूह हो|

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