India Languages, asked by snehakashyap377, 12 days ago

5. 'ओ३म् भूः ओ३म् भुवः ओ३म् स्वः ओ३म् महः ओ३म् जनः ओ३म
तपः ओ३म् सत्यम्' इस मन्त्र से सन्ध्या में प्राणायाम किया जाता
है अथवा जल-ग्रहण
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Answered by pinksarika
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Answer:

योग शब्द युजिर् योगे धातु से बना है,जिसका अर्थ है जुडना। किससे- परमात्मा से जुडना। एक युज समाधौ धातु भी है अर्थात् परमात्मा में एकाकार हो जाना—“योगः समाधिः। स च सार्वभौमश्चित्तस्य धर्मः।” (यो.द. व्यास भाष्य १.१)

योग समाधि है और वह समाधि चित्त की सब क्षिप्तादि भूमियों (अवस्थाओं) में सिद्ध हुआ चित्त (मन) का धर्म (गुण) है।

मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है, अर्थात् दुःखों से छूटकर परमानन्द प्राप्त करना।

इन्हीं बातों को लेकर सहृदयी पतञ्जलि महामुनि दुःखी लोगों के लिये दुःख से छूटने उपाय बताये हैं। उसका आधार योग है।

योग के आठ अङ्ग होते हैं——(१.) यम, (२.) नियम, (३.) आसन, (४.) प्राणायाम, (५.) प्रत्याहार, (६.) धारणा, (७.) ध्यान, (८.) समाधि।

“यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयो अष्टावङानि।।” ( योगदर्शन—२.२९) ।।

प्रथम योगांग यम है।

यमों की अपरिहार्यता==============

यम-नियमादि के पालन करने में यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि यमों के बिना नियमों का पालन करना बाह्यप्रदर्शन होने के कारण पतन की संभावना बनी रहती है। अतः यमों का नित्य पालन करना चाहिए। मनु महाराज (४.२०४) का वचनः—-

यमान् सेवेत सततं न नियमान् केवलान् बुधः।

यमान् पतत्यकुर्वाणो नियमान् केवलान् भजन्।।

(मनु महाराज (४.२०४)

यमों के बिना केवल इन नियमों का सेवन न करे, किन्तु इन दोनों का सेवन किया करें। जो यमों का सेवन छोडकर केवल नियमों का सेवन करता है, वह उन्नति को प्राप्त नहीं होता, किन्तु अधोगति (संसार) में गिरा रहता है।

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