5) पांडवों तथा कौरवों ने अस्त्र विद्या कृपाचार्य व द्रोणाचार्य से सीखी।
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- द्रुपद की ये बात द्रोणाचार्य को अच्छी नहीं लगी और वे किसी तरह द्रुपद से अपने अपमान का बदला लेने की बात सोचते हुए हस्तिनापुर आ गए। पितामह भीष्म ने उन्हें कौरव और पांडवों का गुरु नियुक्त कर दिया। - जब कौरव व पांडवों की शिक्षा पूरी हो गई तब द्रोणाचार्य ने उनसे गुरुदक्षिणा ने राजा द्रुपद को बंदी बनाकर लाने को कहा।24-Feb-2020
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