5 प्र०-2 निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। स्वर्ण श्रृखला के बंधन में, अपने गति, उड़ान सब भूले। बस सपनों में देख रहे हैं, तरु की फुनगी पर के झूले। ऐसे थे अरमान कि उड़ते, नीले नभ की सीमा पाने। लाल किरण-सी चोंच खोल, चुगते तारक- अनार के दाने। प्र०-१ उपर्युक्त पद्यांश में किसके विषय में चर्चा की गई है? प्र०-२ किसके बंधन में पक्षी अपनी उड़ान भूल गए हैं? प्र०-३ 'तरु' का एक पर्यायवाची शब्द लिखिए। प्र०-४ उपर्युक्त पद्यांश में पक्षियों के क्या अरमान थे? प्र०-५ उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए।
Answers
Answered by
1
Answer:
hi friends good morning please mark me as a brainlist only 1 people
Similar questions