Hindi, asked by vanyaanand264, 8 months ago

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प्रश्न 6. दिए गए विषयों में से किसी एक विषय पर नारा लेखन कीजिए -
(ख) आत्मनिर्भर भार​

Answers

Answered by nikunjc971
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Explanation:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हालिया संबोधन में 'एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण' का वादा किया है.

पीएम मोदी का 'आत्मनिर्भर भारत अभियान', उनकी पार्टी की मूल अवधारणा के अनुसार एक महत्वकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य सिर्फ़ कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से लड़ना नहीं, बल्कि भविष्य के भारत का पुनर्निर्माण करना है.

मंगलवार शाम के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, "अब एक नई प्राणशक्ति, नई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है."

वे बोले, "हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिज़र्व बैंक के फ़ैसले थे और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये क़रीब-क़रीब 20 लाख करोड़ रुपये का है. ये पैकेज भारत की जीडीपी का क़रीब-क़रीब 10 प्रतिशत है. 20 लाख करोड़ रुपये का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा."

भारत में 'स्वदेशी' एक विचार के रूप में देखा जाता है, जो भारत की संरक्षणवादी अर्थव्यवस्था का आर्थिक मॉडल रहा और राष्ट्रवादी तबक़ा इस विचार की वकालत भी करता रहा है, लेकिन पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहीं भी 'स्वदेशी' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.

जबकि आत्म-निर्भर भारत बनाने का पीएम मोदी का विचार 'स्वदेशी' के काफ़ी क़रीब दिखता है और उन्होंने अपने संबोधन में खादी ग्राम उद्योग के उत्पादों की अच्छी बिक्री का ज़िक्र भी किया.

दशकों तक, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया के लिए खुली नहीं थी. बाहरी दुनिया पर संदेह और आत्मविश्वास में कमी भी थी. पिछली शताब्दी के अंतिम चार दशकों के भारत ने स्वदेशी मॉडल पर भरोसा करते हुए पाँच साल की नियोजित अर्थव्यवस्था का अनुसरण किया और 2.5 से 3 प्रतिशत विकास दर के साथ वृद्धि की जिसे कभी 'विकास की हिंदू दर' के रूप में भी जाना जाता था.

अंत में, भारत को अपने आर्थिक संकटों की वजह से साल 1991 में बाहरी दुनिया के लिए अपने दरवाज़े खोलने पर मजबूर होना पड़ा.

आज भारत एक बार फिर 'आत्म-निर्भर' बनने के लिए भीतर की ओर देख रहा है. भले ही मोदी ने दावा किया है कि उनकी आत्म-निर्भरता वाली बात का मतलब दुनिया से कनेक्शन तोड़ लेना नहीं है, पर मोदी जो कह रहे हैं उसे निभा पाना आसान नहीं होगा, ख़ासतौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के ऐसे दौर में, जब अमरीका के स्टॉक मार्केट की हर एक हलचल चीन और भारत के बाज़ारों पर सीधा असर डालती है.

इसके अलावा, स्थानीय उत्पादों का उत्पादन करने और उन्हें प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने के लिए स्थानीय उद्यमियों और निर्माताओं को कुछ सुरक्षा राशि भी देनी होगी जिससे विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों के साथ भारत का सीधा टकराव होगा.

हालांकि, बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र ने पीएम मोदी के आत्म-निर्भरता के दृष्टिकोण को बहुत अलग बताया.

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