Hindi, asked by santoshpatro16377, 6 months ago

(5) रेचित चेति कहिं अचेत काहे, बालमीकहिं देखि रे।
जाति थे कोई पदि न पहुच्या, राम भगति बिसेषरे ।।
षटक्रम सहित जे विप्र होते, हरि भगति चित द्रिढ़ नाहि
हरिकथा सुहाय नाही, सुपच तुलै ताहि रे।।
मित्र सत्रु अजाति सब ते, अंतरि लावै हेत रे।
लोग बाकी कहा जानें, तीनि लोक पवित रे।।
अजामिल गज गनिका तारी, काटी कुंजर की पासि रे।
ऐसे दुरमति मुकती किये, तो क्यूँ न तिरै रैदास रे।​

Answers

Answered by anitasingh30052
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Answer:

चित चेति चेत अचेत ।। काहे न बालमीकहि देख ।।

किसु जाति ते किह पदहि अमरिओ राम भगति बिसेख ।।१।। रहाउ ।।

हे मेरे अचेत मन! मैं तुझे याद दिलाता हूँ कि तू बार-बार प्रभु को याद कर। तू महर्षि बाल्मीकि के जीवन से प्रेरणा क्यों नहीं लेता ?

एक निम्न जाति से उठ कर वह कितनी ऊँचाई पर पहुँच गए । यही प्रभु-भक्ति की विशेषता है ।

Explanation:

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