5 सूक्ति in संस्कृत
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लोभः पापस्य कारणं
लालच (लोभ) पाप का कारण है।
हितं मनोहारी च दुर्लभं वचः
भलाई के और मन को अच्छे लगनेवाले वचन कठिनाई से प्राप्त होते हैं।
संसर्गजा दोषगुणाः भवन्ति
संगती से ही दोष और गुण होते हैं।
श्रद्धावन् लभेत ज्ञान
श्रद्धा रखने वालों को ज्ञान प्राप्त होता है।
सहसा विंदधीत न क्रियां
अचानक से बिना सोचे समझे कोई काम नहीं करना चाहिए।
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