5. संस्कृतभाषायां अनुवाद कुरुत-
द्या विनयं न ददाति
।
संस्कृतभाषा में अनुवाद कीजिए-
(Translate in sanskrit)
(क) विद्वान् सब जगह पूजा जाता है।
ख) विद्याहीन पृथ्वी पर भार के समान है।
(ग) विद्या खर्च करने पर वृद्धि को प्राप्त होती है।
(घ) राजा और विद्वान की तुलना नहीं हो सकती।
(ङ) योग्यता से मनुष्य को धन प्राप्त होता है।
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विद्वान सर्वत्र पूज्यते।
ग ) व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम्
ग) विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन
ॾ) पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्
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