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स्वराज्य की नींव
विष्णु प्रभाकर
विष्णु प्रभाकर का जन्म मुजफ्फरपुर जिले के मीरनपुर गाँव में हुआ था। इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में और उच्च शिक्षा
हिसार में प्राप्त की थी। कई वर्षों तक पंजाब सरकार की सेवा करने के बाद सन् 1974 से ये दिल्ली आ गए और तब से दिल्ली
रहकर पूर्ण समय के लिए साहित्य सेवा में लगे हैं। आपने कहानी, उपन्यास, जीवनी, नाटक, एकांकी, संस्मरण और रेखाचित्र आदि
विधाओं में पर्याप्त मात्रा में लिखा हैं। आपकी प्रमुख रचनाए ‘ढ़लती रात', 'स्वप्नमयी' (उपन्यास), 'संघर्ष के बाद' (कहानी संग्रह),
'नव-प्रभात', 'डॉक्टर' (नाटक), 'प्रकाश और परछाईयाँ', 'बारह एकांकी', 'अशोक' (एकांकीसंग्रह), 'जाने-अनजाने' (संस्मरण और
रेखाचित्र), 'आवारा मसीहा' (शरतचंद्र की जीवनी) आदि।
विष्णु प्रभाकर की रचनाओं में प्रारंभ से ही स्वदेश प्रेम व राष्ट्रीय चेतना और समाज-सुधार का स्वर प्रमुख रहा है। स्वतंत्रता
प्राप्ति के बाद आपने आकाशवाणी के दिल्ली केन्द्र में नाटक-निर्देशक के पद पर काम किया। बाद में स्वतंत्र लेखन को अपनी जीविका
का साधन बना लिया। आपका समस्त साहित्य मानवीय अनुभूतियों से जुड़ा हुआ है। आपकी रचनाओं में रोचकता एवं संवेदनशीलता
सर्वत्र व्याप्त है तथा भाषा सहज व सरल है।
प्रस्तुत एकांकी ‘स्वराज्य की नींव' में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) में लक्ष्मीबाई के त्याग और संघर्ष का वर्णन किया गया
। स्वराज की नींव रखने में स्त्रियों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रस्तुत एकांकी के पात्र स्वराज्य की नींव के पथ्थर है; जिनके त्याग,
पस्या व बलिदान के द्वारा भले ही स्वराज्य प्राप्त नहीं हुआ, लेकिन वे स्वराज्य की नींव का पथ्थर बनकर जनमानस में देशप्रेम व नवजागरण
भावना जगाने में अपनी सार्थकता समझते हैं।
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