5 saral, sanyukt and mishr vakya from bade bhai sahab and harihar kaka | Class 10th
Answers
5 सरल वाक्य , 10 मिश्र वाक्य , 10 संयुक्त वाक्य बड़े भाई साहब पाठ के इस प्रकार है:
10 मिश्र वाक्य बड़े भाई साहब के
मिश्रित वाक्य - जब दो अथवा दो से अधिक सरल या संयुक्त वाक्य किसी व्यधिकरण योजक (यदि...तो , जैसा...वैसा, क्योंकि...इसलिए , यद्यपि....तथापि ,कि आदि ) से जुड़े होते हैं, तो वह मिश्र या मिश्रित वाक्य कहलाता है।
- जैसे ही मैं लताड़ सुनता तो आंसू बहाने लगता।
- जैसे ही पहला दिन होता उसकी अवहेलना शुरू हो जाती।
- जैसे ही तो मेरे दर्जे में आओगे तो तुम्हें दातों पसीना आ जाएगा।
- मैं जैसे ही किताब लेकर बैठता तो मुझे एक घंटा भी पहाड़ लगता था।
- मुझे जैसे ही मौका मिलता मैं हॉस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता था।
- जैसे ही कमरे में आता तो भाई साहब का रौद्र रूप देखकर प्राण सूख जाते।
- मैं पाँचवी जमात में था और वे नवी जमात में थे।
- तुम अपनी आंखों से देखते होगे कि मैं कितनी मेहनत करता हूं।
- तुम उम्र भर इसी दर्जे में पड़े सड़ते रहोगे जबकि मुझे तो केवल दो-तीन साल ही लगे हैं।
- उन्हें खबर ना हो इसलिए मैं कमरे में इस तरह दबे पांव आता था।
10 संयुक्त वाक्य बड़े भाई साहब
सयुंक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा सयुंक्त होते हैं। संयुक्त सयुंक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्यों को और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि का प्रयोग करके जोड़ा जाता है।
- अभियान किया और दीन दुनिया दोनों से गया |
- मुझे अपने ऊपर अभिमान हुआ और आत्मसम्मान भी बढ़ा |
- मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी |
- मैंने बहुत परिश्रम किया इसलिए सफल हो गया।
- मैं बहुत तेज़ दौड़ा फिर भी ट्रेन नहीं पकड़ सका।
- वह पढ़ाई भी करता है और काम भी करता है |
- हमेशा यही सवाल, इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था इसका जवाब मेरे पास केवल मौन था।
- 2 घंटे के बाद निराशा के बादल फट जाते और मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर करूंगा।
- उनकी नज़र मेरी उठी और प्राण निकल गए |
- मुद्रा कांतिहीन हो गई थी , मगर बेचारे फेल हो गए |
सरल वाक्य उन वाक्यों को कहा जाता है जिस में एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है और एक विधेय या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य होता है | सरल वाक्य को साधारण वाक्य भी कहा जाता है।
- लेकिन कमरे में आते ही भाई साहब का रौद्र रूप देखकर प्राण सूख जाते।
- पहले ही दिन से उसकी अवहेलना शुरू हो जाती।
- मेरे दर्जा मेरे दर्जे में आओगे तो दांतों पसीना आ जाएगा।
- मैं एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।
- मौका पाते ही हॉस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता।
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Bade bhai sahab ke koi 10 saral vakya ko mishra vakya mai badalkr likhiye.