5. ऊष्म व्यंजन कौन से हैं? लिखो।
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Explanation:
व्यंजन (en:consonant) शब्द का प्रयोग वैसी ध्वनियों के लिये किया जाता है जिनके उच्चाहरण के लिये किसी स्वर की जरुरत होती है। ऐसी ध्वनियों का उच्चारण करते समय हमारे मुख के भीतर किसी न किसी अंग विशेष द्वारा वायु का अवरोध होता है।यह जब हम बोलते है,हमारे जीभ मुह के ऊपर के हिस्से से रगड़कर उष्ण हवा बाहर आता है।
इस तालिका में सभी भाषाओं के व्यंजन गिये गये हैं, उनके IPA वर्णाक्षरों के साथ।
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संस्कृत में ष का उच्चारण ऐसे होता था : जीभ की नोक को मूर्धा (मुँह की छत) की ओर उठाकर श जैसी आवाज़ करना। आधुनिक हिन्दी में ष का उच्चारण पूरी तरह श की तरह होता है।
हिन्दी में ण का उच्चारण ज़्यादातर ड़ँ की तरह होता है, यानि कि जीभ मुँह की छत को एक ज़ोरदार ठोकर मारती है। हिन्दी में क्षणिक और क्शड़िंक में कोई फ़र्क नहीं। पर संस्कृत में ण का उच्चारण न की तरह बिना ठोकर मारे होता था, फ़र्क सिर्फ़ इतना कि जीभ ण के समय मुँह की छत को कोमलता से छूती है।
इस पेज में ध्वन्यात्मक चिन्ह दिये गये हैं जो कुछ ब्राउसर पर शायद ठीक से न दिखें। (सहायता)
जहाँ भी चिन्ह् जोड़ी में गिये गये हैं, वहाँ दाहिने का चिन्ह en:voiced consonant / घोष व्यंजन के लिये है और वायेँ का अघोष के लिये। शेडेड क्षेत्र उन ध्वनियों के लिये हैं जो असम्भव मानी जाती हैं।
द्वित्व व्यंजन या व्यंजन गुच्छ - सूत्र : समानस्य व्यंजनस्य समूह: इति 'लघु सिद्धान्त कौमुदी' जब दो समान व्यंजन एक साथ आएं, तब वह द्वित्व व्यंजन या व्यंजन गुच्छ बन जाता है,जैसे: सच्ची,दिल्ली।
ध्यान दें कि महाप्राण ध्वनियों, जैसे ख, घ, फ, ध, आदि के लिये उसके अल्पप्राण चिन्ह के बाद superscript में h का निशान लगाया जाता है,