5. 'विहग-वृंद' से कवि का क्या तात्पर्य है? (वीना वादिनी by suryakant tripathi)
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वीणावादिनी = सरस्वती देवी; मन्द रव = धीमा औरगम्भीर स्वर; नव = नया; उर = हृदय; अंध-उर =अज्ञान के अन्धकार से युक्त हृदय; जननि-माँ बन्धन-पंखा; कलुष मन के विकार या मलिन भाव; तम हर
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