Hindi, asked by sandeepbishnoi9734, 8 months ago

5.वाक्य में प्रयुक्त शब्द का व्याकरणिक दृष्टि से
परिचय देना क्या कहलाता है ?

Answers

Answered by anureetkaurgrewal11
2

Answer:

Rudrapushpa

Rudrapushpa is a sanskrit name of Hibiscus rosa.

द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप में होता है। आदर देने के लिए सदैव बहुवचन को प्रयोग किया जाता है। कुछ शब्द सदैव बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे- आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।Apr 25, 2019द्रव्यवाचक संज्ञा तथा भाववाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन के रूप

Answered by Anonymous
3

Explanation:

जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।जैसे -

जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।जैसे -राजेश ने रमेश को पुस्तक दी।

जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।जैसे -राजेश ने रमेश को पुस्तक दी।राजेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’के साथ।

जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।जैसे -राजेश ने रमेश को पुस्तक दी।राजेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’के साथ।रमेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।जैसे -राजेश ने रमेश को पुस्तक दी।राजेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’के साथ।रमेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।पुस्तक = संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक।

जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।जैसे -राजेश ने रमेश को पुस्तक दी।राजेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’के साथ।रमेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।पुस्तक = संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक। हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।

जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है - वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।

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