5. वित्ततः क्षीणः कीदृशः भवति?
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सूक्तिमौक्तिकम्
संस्कृत साहित्य में नीति—ग्रन्थों की समृद्ध परम्परा है। इनमें सारगर्भित और सरल रूप में नैतिक शिक्षाएँ दी गई हैं, जिनका उपयोग करके मनुष्य अपने जीवन को सफल और समृद्ध बना सकता है। ऐसे ही मनोहारी और बहुमूल्य सुभाषित यहाँ संकलित हैं, जिनमें सदाचरण की महत्ता, प्रियवाणी की आवश्यकता, परोपकारी पुरुष का स्वभाव, गुणार्जन की प्रेरणा, मित्रता का स्वरूप और उत्तम पुरुष के सम्पर्क से होने वाली शोभा की प्रशंसा और सत्संगति की महिमा आदि विषयों का प्रतिपादन किया गया है।
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