History, asked by samsingh224, 10 months ago

5. वैदिक ब्राह्मणवाद के कर्मकांडों और कुरीतियों का विरोध करने वाले दो धर्म कौन से थे।​

Answers

Answered by Anonymous
2

Answer:

आधुनिक आर्य समाज इसी धार्मिक व्यवस्था पर आधारित हैं। वैदिक संस्कृत में लिखे चार वेद इसकी धार्मिक किताबें हैं। वेदिक मान्यता के अनुसार ऋग्वेद और अन्य वेदों के मन्त्र परमेश्वर अथवा परमात्मा द्वारा ऋषियों को प्रकट किये गए थे। इसलिए वेदों को 'श्रुति' यानि, 'जो सुना गया है' कहा जाता है, जबकि श्रुति ग्रन्थौ के अनुशरण कर वेदज्ञ द्वारा रचा गया वेदांगादि सूत्र ग्रन्थ स्मृति कहलाता है। जिसके नीब पर वैदिक सनातन धर्म और वैदिक आर्यसमाजी आदि सभी का व्यवहार का आधार रहा है। कहा जाता है। वेदों को 'अपौरुषय' यानि 'जीवपुरुषकृत नहीं' भी कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है कि उनकी कृति दिव्य है, अतः श्रुति मानवसम्बद्ध दोष मुक्त है। "प्राचीन वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म" का सारा धार्मिक व्यवहार विभन्न वेद शाखा सम्बद्ध कल्पसूत्र, श्रौतसूत्र, गृह्यसूत्र, धर्मसूत्र आदि ग्रन्थौं के आधार में चलता है। इसके अलावा अर्वाचीन वैदिक (आर्य समाज) केवल वेदों के संहिताखण्ड को ही वेद स्वीकारते है।

वैदिक धर्म और सभ्यता की जड़ में सन्सार के सभी सभ्यता किसी न किसी रूपमे दिखाई देता है। आदिम हिन्द-अवेस्ता धर्म और उस से भी प्राचीन आदिम हिन्द-यूरोपीय धर्म तक पहुँचती हैं, जिनके कारण वैदिक धर्म यूरोप, मध्य एशिया/ईरान के प्राचीन धर्मों में भी किसी-न-किसी रूप में मान्य थे, जैसे यजञमे जिनका आदर कीया जाता है उन शिव(रुद्र) या बुद्ध और पार्वती । इसी तरह बहुत से वैदिकशब्दों के प्रभाव सजातीय शब्द अवेस्ताधर्म और प्राचीन यूरोप धर्मों में पाए जाते हैं, जैसे कि सोम (फ़ारसी: होम), यज्ञ (फ़ारसी: यस्न), पितर- फादर,मातर-मादर,भ्रातर-ब्रदर स्वासार-स्विष्टर नक्त-नाइट् इत्यादि।[1]

Answered by Anonymous
5

Answer:

I dnt come hindi

Similar questions