Hindi, asked by hemantgacha2004, 9 months ago

5 ) व्यापारी का अपने मित्र को रुपये देकर विदेश जाना - वापस आकर
पैसे माँगना – इन्कार – काजी के पास - व्यापारी का कोई गवाह न होना - काजी से
कहना – 'मैंने बरगद के पेड़ के नीचे अपने मित्र को रुपये दिये थे' - काजी तब सिपाही
को व्यापारी के साथ उस पेड़ को देखने के लिए भेजता है – 'क्या वे अभी आये नहीं?'
मित्र बोल उठता है, 'हुजूर, वह पेड़ तो बहुत दूर है' - न्याय।​

Answers

Answered by qwstoke
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दी गई बिंदुओं के आधार पर कहानी निम्न प्रकार से लिखी गई है।

धनपत नामक एक व्यापारी था, वह विदेश जा रहा था। उसके पास जो जमापूंजी थी वह उसे अपने मित्र दौलतराम के यहां रखकर गया।

कुछ महीनों बाद धनपत जब विदेश से लौटा तब वह अपने रूपए वापस लेने अपने मित्र दौलतराम के पास आया।दौलतराम की नीयत पैसे लौटाने की नहीं थी, वह मुकर गया , उसने कहा कि तुमने मुझे कोई पैसे नहीं दिए थे।

धनपत न्याय मांगने काजी के पास आया। काजी ने धनपत से पूछा कि जब तुमने पैसे दौलतराम को दिए उस वक्त कोई गवाह था क्या ? इस पर धनपत ने कहा कि उसने बरगद के पेड़ के नीचे रुपए दौलतराम को दिए थे। काजी एक सिपाही को धनपत के साथ उस पेड़ के पास भेजता है।

जब वह दोनों बहुत देर तक न आए तब काजी कहता है वे दोनो अभी तक नहीं आए, इसपर दौलत राम के मुंह से निकाल जाता है कि वह पेड़ तो बहुत दूर है।

इस प्रकार दौलतराम का झूठ पकड़ा जाता है तथा उसे धनपत को रुपए लौटने पड़ते है।

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