Economy, asked by bkpra73, 9 months ago

5. वायरस के प्रभाव लिखें।​

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Answered by deepu124nnl
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Answer:

it will be very harmful for us

Answered by anamikamondal983
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चीन में 14 फरवरी तक 48 शहर और 4 प्रांत लॉकडाउन मोड में थे। चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा बड़ा आयातक देश है। चीन का दुनिया के कुल निर्यात में 13 फीसदी और कुल आयात में 11 फीसदी हिस्सा है। लॉकडाउन के चलते चीन में 500 मिलियन लोगों पर असर पड़ा है, जिससे वस्तुओं की खपत बुरी तरह प्रभावित हुई है। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण चीन की तेल खपत के 30 फीसदी तक गिरने का अनुमान है।

चीन में 130 भारतीय कंपनियों के सामने बड़ी चुनौतियां

कंफेडेरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीने 16 फरवरी को 'नोवल कोरोना वायरस इन इंडिया एन इंपेक्ट एनालिसिसÓ शीर्षक से एक सर्वे रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि चीन में 130 भारतीय कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों को रोकने और उनकी भर्ती करने की है, क्योंकि अधिकतर लोग अपने घर के पास ही काम करना चाहते हैं और ज्यादा दूर तक ट्रैवल करने से डर रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट में बिना नाम लिए बताया गया कि चीन में भारतीय आईटी कंपनियों को बुरी तरह नुकसान हुआ है।

राजस्व व ग्रोथ दोनों पर प्रतिकूल असर

सीआईआई ने रिपोर्ट में कहा, 'चीन में लूनर नववर्ष की छुट्टियों के विस्तार से चीन के बाहर काम करने वाली भारतीय आईटी कंपनियों के राजस्व और ग्रोथ पर प्रतिकूल अरस पड़ा है। आईटी कंपनियां मैनपावर पर काफी हद तक निर्भर होती हैं और लोगों की आवाजाही पर रोक के कारण वे कामकाज नहीं कर पा रही हैं।Ó

सीआईआई ने आगे कहा, 'इसके फलस्वरूप भारतीय आईटी कंपनियां मौजूदा प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा नहीं कर पा रही हैं और नए प्रोटेक्स में भी कमी आ रही है। इससे अब चीन में स्थित भारतीय आईटी कंपनियों के वैश्विक ग्राहक मलेशिया और वियतनाम जैसी जगहों पर नए सर्विस प्रोवाइडर्स के पास जा रहे हैं।Ó

कई जगहों पर 24 जनवरी से बंद है व्यापार

सर्वे में बताया गया है कि छुट्टियों के विस्तार से उत्पादकता घट गई है, जिसका सीधा असर राजस्व और ग्रोथ पर पड़ा है। चीन में कई जगहों पर व्यापार पिछली 24 जनवरी से बंद है। चीन में ये भारतीय कंपनियां इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग, मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज, आईटी एंड बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, केमिकल, एयरलाइन और टूरिज्म जैसे सेक्टर्स से जुड़ी हैं। कंपनियों का अनुमान है कि पहली और दूसरी तिमाही में उनके राजस्व में 15 से 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है। यह माना जा रहा है कि व्यापार तीसरी तिमाही से ही सामान्य हो पाएगा।

फिक्स्ड कॉस्ट बनी गले की फांस

सीआईआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'उत्पादन रुक जाने के चलते कंपनियों, विशेषतौर पर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर फिक्स्ड कॉस्ट जैसे वेतन, ऑफिस रेंट, ब्याज, वैधानिक ओवरहेड्स आदि का भार पड़ रहा है। फरवरी और मार्च महीने में राजस्व में नुकसान से नकदी की कमी हो जाने की भी संभावना है, क्योंकि बिना किसी बिक्री के फिक्स्ड कॉस्ट लगातार बनी रहेगी।

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